रुद्रपुर में जमकर अवैध स्कूल विकसित हो गए हैं। लगातर अवैध स्कूलों के खुलने का सिलसिला जारी और अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं। जब शिकायतेंं होती हैं तो अधिकारी नोटिस जारी कर कार्रवाई लटका देते हैं। वही बिना मान्यता वाले विद्यालयों पर कठोर कार्रवाई का शासन का आदेश है। यह आदेश जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय में हवा-हवाई साबित हो रहा है। बिना मान्यता के चल रहे विद्यालयों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। खबर यूएस नगर की पड़ताल में पता चला कि जनपद में अभी भी कई दर्जनों स्कूल बगैर मानक पूरा किए बेरोकटोक संचालित हो रहे हैं।
जनपद ऊधम सिंह नगर के जिलामुख्यालय रुद्रपुर में गली कूंचों और घरों में बिना मान्यता के संचालित स्कूलों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही। जिससे बच्चों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। हालांकि बिना मान्यता के संचालित स्कूलों पर शासन ने कार्रवाई के निर्देश जारी किए। जनपद ऊधम सिंह नगर में बिना मान्यता के सैकड़ों विद्यालय और अवैध कक्षाओं का संचालन हो रहा है। समय-समय पर अधिकारियों के पास शिकायतें भी पहुंचती हैं। लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं हो पाती। कई महीने पहले शिक्षा विभाग ने अवैध स्कूल चिह्नित कराए थे। और कई स्कूल अवैध संचालित होने की रिपोर्ट के बाद नोटिस भी जारी किए गए। लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं हुई।
उत्तराखंड में सरकार जहां शिक्षा से ड्राप आउट शून्य करने का प्रयास कर रही है। तो खुद प्रदेश के मुखिया धामी भी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ ना हो इसके लिए कड़े नियम बनाकर बच्चों के आने वाले भविष्य को बचाने के लिए बेजोड़ पहल करते हुए नजर आ रहे हैं। तो वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते जहां एक ओर सरकारी स्कूलों की दशा बदतर होती जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के महानगरों में अवैध स्कूलों की संख्या लगातार बढ़ती हुई नजर आ रही है। शिक्षा को व्यापार बनाकर शिक्षा माफिया बच्चों के भविष्य को लगातर अंधकार की ओर धकेल रहे हैं। शिक्षा माफिया के हौसले दिन रात आसमान छूने लगे हैं। गली मोहल्लों में जहां चाहे माफियायों ने शिक्षा को व्यापार बनाकर अवैध स्कूल खोल दिए हैं।
बात जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर की करें तो यहां अवैध स्कूलों की बाढ़ सी आ गई है लेकिन कार्रवाई के नाम पर शिक्षा विभाग सिर्फ नोटिस थाम कर अपना पल्ला झाड़ रहा है। नोटिस मिलने के बाद भी आज तक कई अवैध स्कूल ज्यों के त्यों धड़ल्ले से चल रहे है। लेकिन जब भी शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से इस मामले में बात की जाती है तो वह नोटिस का हवाला देकर आगे कार्रवाई की बात करते हैं। लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद ही धरातल पर सिवाय आदेश और निर्देश के कुछ भी नजर नहीं आता है। एसी के बंद कमरों में बैठकर मीटिंग और आदेश जारी करने के अलावा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कुछ और काम ही नहीं। वहीं कुछ अधिकारी जाकर जांच के नाम पर नोटिस थमा कर अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन का दिखावा करते हैं या यूं कहें कि गेटिंग सेटिंग का खेल चला लेते हैं जिसके बाद अवैध स्कूलों को बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की खुली छूट मिल जाती है। शायद इसीलिए धरातल पर इन अवैध स्कूलों पर कभी भी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
उदाहरण के लिए आपको बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से ट्रांजिट कैंप के सोनी मांटेसरी पब्लिक स्कूल, डीआर जूनियर हाईस्कूल, ठाकुरनगर के माडर्न पब्लिक स्कूल, न्यू द्रोण नेशनल स्कूल के प्रबंधक व प्रधानाचार्य को नोटिस जारी करते हुए स्कूल को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। ऐसा नहीं है की इन स्कूलों को नोटिस पहली बार मिले हैं। इससे पहले भी वेबलाइट पब्लिक स्कूल (शमशान घाट रोड) और डीआर जूनियर हाई स्कूल को पिछले साल और इस साल भी कई बार नोटिस जारी किए गए हैं मगर इन विद्यालय के प्रबंधकों पर नोटिस का कोई भी प्रभाव नहीं दिखाई देता है और ना ही यह विद्यालय कभी बंद होते हैं। जानकारी के अनुसार डीआर जूनियर हाईस्कूल के प्रबंधक द्वारा हाईस्कूल और इंटर के बच्चों को भी झांसे में रखकर अन्य विद्यालयों से मार्कशीट और टीसी दिलाने की बात भी सामने आई है। और तो और डीआर जूनियर स्कूल के प्रबंधक ने ट्रांजिट कैंप में एक नहीं, दो नहीं कई विद्यालय खोलकर उसे समय आने पर मुनाफा के लिए अन्य किसी को बेचने की बात भी सामने आई है। वर्तमान में भी डीआर जूनियर के नाम से दो विद्यालय संचालित हैं लेकिन शिक्षा विभाग ऐसे शिक्षा माफियाओं पर कभी भी कोई ठोस और सकारात्मक कार्रवाई नहीं करता है जिसके चलते ऐसे शिक्षा माफियाओं के हौसले लगातार बुलंद नजर आते हैं।