नई दिल्ली। भारत में पूरी तरह से टीकाकरण करवा चुके 614 स्वास्थ्य कर्मियों पर किए गए एक अध्ययन में पहली खुराक के चार महीने के भीतर स्वास्थ्य कर्मियों के कोविड से लड़ने वाले एंटीबॉडी में गिरावट पाई गई। यह अध्ययन भारत सरकार को यह तय करने में मदद कर सकता है कि क्या देश के लोगों को बूस्टर खुराक देने की जरूरत है जैसा कि कुछ पश्चिमी देशों ने किया है।अध्ययन करने वाले एक सरकारी संस्थान के निदेशक ने कहा कि एंटीबॉडी में कमी का मतलब यह नहीं है कि इम्युनिटी कम हो रही है। भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र की संघमित्रा पति ने बताया छह महीने के बाद, हम आपको और स्पष्ट रूप से बता पाएंगे कि बूस्टर की आवश्यकता होगी या नहीं। और हम पूरे देश से डेटा के लिए विभिन्न क्षेत्रों में समान अध्ययन का आग्रह करेंगे। वहीं ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पिछले महीने कहा था कि फाइजर/बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका टीकों की दो खुराकों द्वारा दी जाने वाली इम्युनिटी छह महीने के भीतर फीकी पड़ने लगती है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि हालांकि वे बूस्टर खुराक को लेकर अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल प्राथमिकता भारत के 94 करोड़ वयस्कों को पूरी तरह से इम्युनिटी देना है। उनमें से 60 प्रतिशत से अधिक ने कम से कम एक खुराक और 19 प्रतिशत को दोनों खुराक मिल चुकी हैं। बता दें कि मई की शुरुआत में 4,00,000 से अधिक मामलों के बाद से भारत में कोविड के मामलों और मौतों में तेजी से कमी आई है। भारत में 3 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोरोना वायरस के 27,176 नए मामले दर्ज किए गए। जबकि इस बीच 284 लोगों ने महामारी से जान गंवाई। ताजा मामलों के साथ, भारत में कोविड-19 मामलों की कुल संख्या बढ़कर 3,33,16,755 हो गई, जबकि मरने वालों की संख्या 4,43,497 हो गई है।
तपस कुमार विश्वास
संपादक