उत्तराखंड में सत्ता किसी भी दल या नेता के पास हो, लेकिन खादी और खाकी की जोड़ी कभी नहीं टूटती। आज भी नेताओं के इशारे पर पुलिस आम जनता के साथ वर्दी का रौब दिखाने से नहीं चूकती। एक ऐसा ही मामला जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में देखने को मिला। जहां नगर निगम के पार्षद प्रतिनिधि के इशारे पर सीएम धामी की सिंघम पुलिस ने एक नाबालिक सहित तीन लोगों को एक शिकायत पर बिना गहन जांच के हिरासत में ले लिया। इसमें दो लोगों को सलाखों के पीछे भेज दिया गया, जबकि एक नाबालिग को तीन दिन तक चौकी में बैठा लिया। मामले में मौहल्ले वासियों का गुस्सा भड़का तो बात मीडिया और उच्चाधिकारियों तक पहुंची। रविवार रात मौहल्ले में हो-हल्ला होने के बाद सोमवार की सुबह मौहल्लेवासी एसएसपी ऑफिस पहुंचे, लेकिन यहां से उन्हें थाने में जाने को कहा गया। इसके बाद लोगों ने एएसपी अभय सिंह से मुलाकात की। लोगों का आरोप था कि पार्षद से सांठ-गांठ कर पुलिस कर्मियों ने उक्त तीनों लोगों को झूठे केस में फंसाकर दोषी बनाते हुए पहले तो कई दिनों तीनों को चौकी में ही बैठाकर रखा उसके बाद दो को जेल और नाबालिग को बाल सुधार केन्द्र भेज दिया गया। कल जब मामले ने तूल पकड़ा तो एएसपी अभय सिंह ने संज्ञान लेते देर शाम तक नाबालिग को बाल सुधार केन्द्र से घर भेज दिया।
आपको बता दें कि कॉलोनी की रेखा मल्लिक ने पड़ोसी परिवार के तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि पड़ोस में रहने वाले राजेश, दीपक और गोकुल ने उनके घर में घुसकर मारपीट, तोड़फोड़ और धमकी दी। महिला की शिकायत पर पुलिस ने दीपक, गोकुल को जेल भेज दिया जबकि नाबालिग राजेश को चौकी में ही बैठा दिया। इस मामले में कॉलोनीवासियों और युवकों का कहना है कि महिला ने झूठा आरोप लगाया है। यही नहीं कॉलोनीवासियों ने स्थानीय पार्षद प्रतिनिधि पर भी गंभीर आरोप लगाए। लोगों का कहना था कि इस मामले में बिना जांच-पड़ताल के पुलिस ने युवकों के खिलाफ कार्रवाई की है, लोगों ने चौकी इंचार्ज पर भी कई आरोप लगाए। लोगों का कहना था कि एक नाबालिग को कई दिन से चौकी में बैठाया गया है, जो कि गलत है।
बता दें कि आदर्श कॉलोनी चौकी इंचार्ज दिनेश परिहार अपनी कार्यशैली को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। अभी कुछ दिन पूर्व ही आदर्श बंगाली कॉलोनी में एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद उसके शव को घर में ही दफना दिया गया था। इस मामले में परिवार के ही लोग आमने-सामने आ गए थे। महिला की बेटी और एक पुत्र ने अपने बड़े भाई और स्थानीय लोगों पर कई आरोप लगाए थे और घर में शव दफनाने पर सवाल उठाए थे। यही नहीं इस मामले में आदर्श कॉलोनी चौकी पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठे थे। इतना ही नहीं आवास विकास चौकी इंचार्ज रहते हुए भी परिहार पर घर में घुसकर महिला और युवक से मारपीट व अक्सर फरियादों से दुर्व्यवहार करने के आरोप भी लगते रहे थे।
आपको याद दिला दे कोरोनाकाल में जब मित्र पुलिस लगातार लोगों की हर स्तर पर मदद करने का कार्य कर समाज और क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने में जुटी थी तब ऐसे में मित्र पुलिस के कुछ घमंडी और अड़ियल पुलिस कर्मी अपनी पुरानी छवि को कायम कर वर्दी में दाग लगाने से नहीं चूक रहे थे। ऐसा ही एक मामला था उस वक्त आवास विकास चौकी से भी सामने आया था। यहां तैनात चौकी प्रभारी ने अपने घमंड और अड़ियल रवैय के चलते अटरिया रोड पर एक घर में घुस कर युवक व उसकी मां से घर के अंदर और फिर सड़क पर लाकर हैवानों की तरह जमकर मारपीट की और वर्दी का रौब झाड़ते हुए पीड़ितों को झूठे मामले में फसाने की धमकी दी थी। आरोप था कि पीड़ित ने कर्फ्यू के दौरान दुकान खोली हुई थी जिससे चौकी इंचार्ज साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया था। अपना आपा खोकर साहब ने पीड़ित के घर में घुसकर पीड़ित और पीड़ित के मां से जमकर बदसलूकी करते हुए लाठीचार्ज कर दिया था। इस घटना का सारा वाक्या सीसीटीवी में कैद हो गया था और उस वक्त जमकर वायरल भी हुआ था। जिससे खाकी पर बदनामी के दाग लगे थे। वहीं एक बार फिर चौकी इंचार्ज दिनेश परिहार अपनी कार्यशैली को लेकर फिर चर्चाओं में आए है जिसने न सिर्फ उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं बल्कि खाकी पर भी दाग लगाए है।
अब यहां सवाल यह उठता है कि जो मौहल्लेवासी पार्षद प्रतिनिधि और पुलिस पर सांठगांठ करने का आरोप लगा रहे हैं उन आरोपों की जांच होगी या नहीं। आखिर कैसे एक नाबालिग को कई दिनों तक चौकी में बैठाया गया और जो पैसों को लेकर आरोप लग रहा है उसका क्या? अगर आरोप सही हैं तो क्या फिर चौकियों में इसी प्रकार पीड़ितों का शोषण किया जाता है। सवाल कई उठते हैं। अब देखना यह होगा कि इस पूरे मामले में पुलिस के आलाधिकारी क्या करते हैं और तेज-तर्रार अधिकारियों में गिने जाने वाले जिले के एसएसपी मंजूनाथ टीसी इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं।