चर्चा है कि प्रदेश में अब कुछ समय बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी दिसंबर अंत से उम्मीदवार फाइनल करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी। चर्चा यह भी है कि बीजेपी इसबार कई विधान सभा सीटों पर नए चेहरे उतार सकती है। आपको बता दे कि देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब कुछ समय पहले ही देश भर में हुए उप चुनावों के नतीजे बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहे। ये उपचुनाव 3 लोकसभा और 29 विधानसभा सीटों पर लड़े गए। इन सीटों में बीजेपी को 7 पर, उसके सहयोगियों को 8 पर कामयाबी मिली। कांग्रेस को 8, टीएमसी को 4 सीटों पर कामयाबी मिली और बाकी क्षेत्रीय दलों की झोली में गईं।पिछली बार यानि 2017 में जब विधानसभा चुनाव हुए तब मोदी लहर का जोर था। अब ऐसी कोई लहर नहीं है, हां कोरोना का देश भर में असर, महंगाई जैसे मुद्दे जनता के दिमाग में ताजा हैं। ऐंटी इनकम्बैंसी फैक्टर तो है ही। कहा जा रहा है कि जनता के दिमाग में उपजी अपने जनप्रतिनिधियों के प्रति ऊब से निपटने के लिए बीजेपी नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का दांव चल सकती है। चर्चा यह भी है कि ये नए चेहरे युवा भी हों इस पर भी जोर रहेगा
वतर्मान समय में देश दुनिया की नंबर वन पार्टी बन चुकी भाजपा और पार्टी विद डिफरेंस के लिए जाने जाने वाली भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सता हाशिल करने के लिए कोई कोताही बरतने के मूड में नजर नहीं आ रही है। जानकारी और पार्टी के अंदरूनी सर्वे के बाद राज्य में कई विधायकों के टिकट कटने की आशंका है। अपने विजयी अभियान को जारी रखने के लिए पार्टी अपने वर्षों पुराने ‘सिटिंग-गेटिंग’ के फार्मूले को भी दरकिनार करने को तैयार है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऊधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रुद्रपुर में भी नया चेहरा उतारने पर विचार कर रही है।
गौरतलब है कि भाजपा में हमेशा से जीतने वाले विधायक को हर विधानसभा चुनाव में तवज्जो दी जाती रही है। राज्य में पार्टी के 57 विधायक हैं। इनमें से परिवहन मंत्री यशपाल आर्य के पार्टी छोड़ कांग्रेस ज्वाइन करने के साथ जहाँ उनके 56 विधायक रह गए तो ऊधम सिंह नगर के बाजपुर में पार्टी को आर्य के स्थान पर नया प्रत्याशी ढूंढना है। सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान मात्र बाजपुर ही नहीं बल्कि सूबे की हर सीट पर गंभीरता से सोच-विचार कर रहा है। अगर उच्च पदों पर आसीन पार्टी के अंदरूनी लोगों की मानी जाए तो इस बार उत्तराखंड में कम से कम पच्चीस सीटों पर भाजपा के सिटिंग विधायकों के स्थान पर नए प्रत्याशी मौका दिए जाने की चर्चा जोरो पर हैं।
ऐसी ही जनपद ऊधम सिंह नगर में हमेशा से ही हॉट मानी जाने वाली 66 रुद्रपुर विधानसभा है। जहाँ बीते दो बार से राजकुमार ठुकराल लगातार भाजपा से विधायक चुने गए हैं। उन्होंने दोनों बार कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़ को शिकस्त दी है। लेकिन नवंबर माह में मध्यप्रदेश से आई एक टीम के सर्वे ने ठुकराल की दावेदारी को खतरे में डाल दिया है। इस टीम के सर्वे में यह सामने आया है कि रुद्रपुर सीट भाजपा के लिए एक सुरक्षित सीट है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में ठुकराल की पच्चीस हजार वोटों से हुई प्रचंड जीत में भी प्रधानमंत्री मोदी के तत्कालीन दौरे को वजह बताया गया है। टीम में शामिल एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रुद्रपुर सीट पर हुए सर्वे में यह साफ़ है कि ठुकराल की लोकप्रियता नहीं बल्कि भाजपा का कैडर वोट यहाँ भाजपा की जीत तय करता है। उन्होंने कहा कि ठुकराल की छवि एक बाहुबली और वाचाल विधायक की है जो पार्टी फोरम में उनके खिलाफ जा रही है। इसके अतिरिक्त चूंकि पूर्व में ठुकराल ने भाजपा से पालिकाध्यक्ष रहते हुए कार्यकाल में कांग्रेस का दामन थाम लिया था तो वह बात भी उनके हित में नहीं जा रही। ठुकराल का कई बार विबादों में फंसना भी पार्टी हाईकमान के गले नहीं उतर रहा है। पार्टी रुद्रपुर विधानसभा से इस बार एक नए चेहरों को मौका देकर सत्ता का विकेंद्रीयकरण करना चाहती है ताकि कोई भी प्रत्याशी स्वयं को पार्टी से ऊपर न समझे। ऐसे में पार्टी जिलाध्यक्ष शिव अरोरा,पूर्व जिलाध्यक्ष उत्तम दत्ता और मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले युवा नेता विकास शर्मा सहित पार्टी के पूर्व जिला महामंत्री भारत भूषण चुघ का नाम काफी आगे पहुँच चुका है। विश्लेषक टीम का मानना है कि रुद्रपुर में पार्टी बेहतर स्थिति में है तो ऐसे में यहाँ से सिटिंग विधायक का टिकट काटकर पार्टी अन्य स्थानों पर भी असंतोष के स्वर दबा सकती है। वही ऊधम सिंह नगर जिले की राजनीति की धुरी माने जाने वाली रुद्रपुर विधानसभा सीट पर यदि इस बार भाजपा की ओर से नया प्रत्याशी देखने को मिले तो इस पर अचम्भा नहीं होना चाहिए।