भाजपा और संगठन से नाराज हुए उत्तम दत्ता अब मान गए हैं, उत्तम दत्ता ने शिव अरोरा को समर्थन देने व खुलकर चुनाव लड़ाने की सहमति जताई है। उत्तम दत्ता को मनाने प्रदेश की सह प्रभारी लॉकेट चटर्जी उनके आवास पर पहुंची थी, जिनके काफी समझाने के बाद उत्तम दत्ता ने संगठन के साथ खड़े रहकर चुनाव लड़ाने की बात कही।
बता दें विधानसभा चुनाव को लेकर हाई कमान ने शिव अरोरा पर भरोसा जताते हुए उन्हें भाजपा से उम्मीदवार बनाया था। जिसके बाद से मौजूदा विधायक राजकुमार ठुकराल, उत्तम दत्ता समेत अन्य कई लोग नाराज हो गए थे और भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना चुके थे हालांकि राजकुमार ठुकराल ने निर्दलीय नामांकन कर दिया। वहीं उत्तम दत्ता को मनाने में लॉकेट चटर्जी सफल हुई हैं। जिसके बाद उत्तम दत्ता ने संग़ठन के साथ खड़े होकर चुनाव लड़ाने की बात कही है।
आपको बता दे भाजपा नेता उत्तम दत्ता ने बगावती सुर दिखाते हुए अपने हजारों समर्थकों के समर्थन के बाद कल भावुक होते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था उन्होंने भाजपा पर कई आरोप भी लगाए थे। उन्होंने भाजपा पर बंगाली समुदाय का हमेशा ही अनादर का करने और हीन भावनाओं से भेद भाव करने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अब उत्तम दत्ता बंगाली समाज और देसी समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए चुनावी मैदान में उतरेंगे। अपने समर्थको के बीच संबोधन के दौरान उत्तम दत्ता कई बार भावुक हुए और बच्चों की तरह फूट-फूट कर रोने लगे। लेकिन दृढ़ निश्चय दिखाने वाले उत्तम दत्ता ने कुछ ही घंटों के भीतर पिघल गए और कल तक जिसकी खुलकर बुराई कर रहे थे आज उसी के समर्थन में चुनावी मैदान में उतर है। वहीं उत्तम दत्ता के इस फैसले से बंगाली समुदाय के लोगों में दत्ता के प्रति काफी रोष पनपा है लोगों ने दत्ता पर कई आरोप लगते हुए कहा कि दत्ता ने अपने राजनीतिक करियर को बचाने के लिए बंगाली समुदाय और देसी समाज के साथ अपने हजारों समर्थकों का अनादर किया है। सोशल मीडिया पर भी उत्तम दत्ता की जमकर किरकिरी हो रही है सोशल मीडिया और रुद्रपुर में चर्चाओं के बाजार की मानें तो लोगों ने उत्तम दत्ता पर आरोप लगाया है कि मंत्री पद की लालसा में उत्तम दत्ता ने अपने गुस्से का घूट पीकर बंगाली समुदाय और अपने समर्थकों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का काम किया है। इतना ही नहीं सूत्रों और विश्वसनीय लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लोगों ने दत्ता पर आरोप लगाया है कि दत्ता ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए बंगाली समुदाय पर फिर एक बार कलंक लगाने का काम किया है ।