जनपद ऊधम सिंह नगर के ऐतिहासिक गुरू की नगरी नानकमत्ता साहिब का पर्यटन स्थल नानकसागर डैम का जलस्तर पिछले सालों की तुलना में इस वर्श काफी कम हो गया है। नानकसागर डैम में घुमने आने वाले पर्यटकों को दूर-दूर तक पानी नजर नही आने से निराशा हाथ लग रही है। वही नानगसागर डाम के सुखने से सिचाई नहरें भी प्रभावित हुई है। सिचाई नहर से किसानों के खेतों को मिलने वाला पानी भी नही मिल रहा है।
नानसागर डैम के पानी से उत्तराखण्ड के साथ ही यूपी के कई जिलों की सिचाई होती है। जिससे सिचाई विभाग को भी राजस्व प्राप्त होता है। उत्तराखण्ड के ऊधम सिंह नगर के नानकमत्ता साहिब में स्थित नानकसागर डैम कई एकड़ में फैला हुंआ है, यूपी सरकार के स्वामित्व वाला डैम पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र भी है। नानकसागर डैम की पहचान पानी से होती है, लेकिन इन दिनों डैम का अधिकतर हिस्सा सूख गया है, डैम के अंदर जहां तक नजर जाती है, वहां दूर-दूर तक सुखा दिखाई दे रहा है। डैम इन दिनों मैदान बन गया है, इसके साथ ही गाय, भैसें भी डैम के अंदर चारा खाती नजर आ रही है। डैम के सूखने का कारण पहाड़ों पर बरसात न होना भी बताया जा रहा है, वही डैम से लगी प्रमुख नदियां कॉमन नदी, देवहा नदी, फावड़ी नदी का जलस्तर कम होने से डैम पर प्रभाव पड़ा है। नानकसागर डैम पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र के साथ ही उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के किसानों के खेत में सिचाई का काम भी करता है, लेकिन पिछले दो महीनें से डैम में पानी न होने से सिचाई नहरें भी सूखी पड़ी है। जिससें यूपी व उत्तराखण्ड के किसानों को धान की खेती के दौरान नहरों से पानी नही मिल पा रहा है। नाव और मछली व्यवसायियों की रोजी रोटी पर खड़ा हुआ संकट नानकमत्ता। नानकसागर डैम का पानी सुखने से पर्यटक , सिचाई के साथ ही डाम पार गांव ऐचता विही, गिधौर, देवीपुरा, ज्ञानपुर गोढ़ी के ग्रामीणों को अपनी किश्ती से उनकों इस पार से उस पार पहुंचाने वाले नॉव चलाने वालों पर भी रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। डैम का पानी सुखने से करीब 4 दर्जन नाव बाऊली साहिब के तट पर पानी के इंतजार में खड़ी है। नानक सागर डैम में पानी कम होने से मछली ठेकेदार के साथ मछुआरों को भी खासा असर पड़ा है। डैम में उत्तराखण्ड मत्सय विभाग लाखों रूपये का मछली का ठेका देता है, लेकिन पानी कम होने से मछली उत्पादन पर भी खासा असर पड़ा है तो वही दैनिक रूप से काम करने वाले मछुआरों को दिहाड़ी नही मिल पा रही है। सैकड़ो मछुआरों का डैम से जीवन यापन चलता है।