प्रदेश के कुमाऊं मंडल में लगातर हो रहे हादसे में कई लोग अपनों जान गवा चुके हैं। पुलिस के अभियान के बाद भी हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। पुलिस बढ़ते हादसों को लेकर जो दलील दे रही है। वो रटे- रटाए व्यान नजर आ रहे है। तो वहीं आंकड़े बढ़ते हादसों की गवाही दे रहे हैं।
उत्तराखंड में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिसमें सैकड़ो लोग अब तक अपनी जान गंवा चुके है। पुलिस-प्रशासन की सख्ती के बाद भी हादसों पर लगाम नहीं लग पा रही है। जिसकी तस्दीक आंकड़े भी कर रहे हैं कुमाऊं मंडल की सड़कें हर साल हादसों के चलते लाल हो रही हैं। और इस लिए प्रदेश के कई सड़को को खुनी सड़क भी कहा जाता है। सड़क हादसों के अधिकतर कारण तेज रफ्तार बताया जा रहा है तो वहीं पहाड़ों पर बदहाल सड़कें हादसों का कारण बन रही हैं। सड़क हादसा रोकने के लिए पुलिस हर माह समीक्षा बैठक भी करती है लेकिन सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
लेकिन बात आज सिर्फ कुमाऊं मंडल की करते है जिसमे 6 जनपदों में पिछले 12 महीनों में 725 सड़क हादसे हुए हैं। जिसमें 420 लोगों की जान गई जबकि 638 लोग घायल हुए। सड़क हादसों की संख्या सबसे अधिक ऊधम सिंह नगर में सामने आई हैं। यहां पिछले साल जनवरी माह से लेकर दिसंबर माह तक 419 सड़क हादसे हुए हैं। जिसमें 259 लोगों की जान गई है। जबकि 342 लोग घायल हुए हैं। सड़क हादसे में दूसरे नंबर पर नैनीताल जनपद है। जहां 246 सड़क हादसे हुए। जिसमें 114 लोगों की जान गई जबकि 199 लोग घायल हो गए। अल्मोड़ा में 13 सड़क हादसे हुए जिसमें 8 लोगों की जान गई जबकि 30 लोग घायल हुए। पिथौरागढ़ में 16 सड़क हादसे हुए जिसमें 5 लोगों की जान गई जबकि 14 लोग घायल हो गए। चंपावत में 25 सड़क हादसे हुए जिसमें 29 लोगों की जान गई जबकि 47 लोग घायल हुए। बागेश्वर में 6 सड़क हादसे हुए जिसमें 5 लोगों की मौत हुई जबकि 6 लोग घायल हुए हैं।
इतना ही नहीं इन सभी हादसों में वाहनों के तेजी और लापरवाही हादसे के कारण बनी है। 722 घटनाएं तेजी और लापरवाही से वाहन चलाने से हुई हैं। कुमाऊं में हर रोज सड़क हादसे हो रहे हैं। हादसों में किसी का सुहाग उजड़ रहा है तो कोई बहन अपने भाई खो रही है। कुछ हादसों ने तो कई बच्चों के मां-पिता दोनों को छीन लिए है। साल 2022 में सबसे बड़ा हादसा भीमताल में हुआ। इस हादसे में एक साथ पांच लोगों की मौत हो गई थी। चंपावत में पिकअप वाहन गिरने से 12 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस की जांच रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि हादसों की वजह ओवरस्पीड के साथ चालकों को झपकी आना भी है। पर्यटक सीजन शुरू होने पर वाहन चालक कमाई के चक्कर में सही ढंग से सो नहीं पाते हैं। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई व अन्य महानगरों से आने वाले वाहन चालक सैंकड़ों किलोमीटर का सफर बिना रुके तय करते हैं। वाहन को लगातार चलाने पर झपकी आने लगती है। वहीं पहाड़ के वाहन चालक भी एक रूट पर लगातार कई चक्कर लगा रहे हैं। इसके अलावा पहाड़ की जर्जर सड़कें भी हादसों के कारण बन रही हैं।