चाणक्य ने कहा था कि शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, उसकी गोद में प्रलय व निर्माण पलते हैं। लेकिन वह अब तक जीवित होते तो शायद शिक्षा का हाल देखकर अपने इन वाक्यों को बदल देते। अब कुछ लोगों ने इस पुण्य कार्य को पैसों की कमाई का जरिया बना दिया है। खुद सीएम के गृह जिले में अवैध रूप से शिक्षा का कारोबार पर रोक लगाने की जगह पर उस को बढ़ावा देने का काम शिक्षा विभाग के द्वारा किया जा रहा है तथा जिला प्रशासन के द्वारा भी सरकार के कार्यवाही अभियान को रस्म अदायगी करके छोड़ दिया गया है। इसकी वजह से आज कई कई नौनिहालों का भविष्य बर्बाद हो रहा हैं। अभिभावकों की नासमझी और शिक्षा विभाग के लापरवाही से मासूम पीढ़ी भी शिक्षा माफियाओं के गिरफ्त में फंसती जा रही है। अवैध शिक्षा के कारोबारी से अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए इन मासूम के भविष्य को भी अंधकार में धकेलने का कार्य कर रहे हैं। और वही शिक्षा विभाग को इन पर कार्यवाही के लिए आज तक शुभ मुहर्त नहीं मिला पाया है।
जनपद ऊधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रुद्रपुर में शिक्षा विभाग के आशीर्वाद से अवैध स्कूलों का धंधा काफी तेजी से चल रहा है और वहां मासूम छात्रों के भविष्य को बर्बाद किया जा रहा है। ऐसे में शिक्षा विभाग अवैध स्कूलों पर कार्रवाई करना तो दूर वह वहां जाकर यह भी नहीं देखते है कि वहां नियमों का पालन भी किया जा रहा है या नहीं। जिला शिक्षा अधिकारी के मौन धारण के कारण मासूम छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है और उनसे मनमानी फीस वसूली जा रही है। सरकार के द्वारा अवैध रूप से शिक्षा का कारोबार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं पिछले दिनों प्रदेश मुख्यालय से बड़े प्रशासनिक अधिकारी के आदेश के बाद अभियान भी चलाया गया लेकिन कुछ दिनों में यह अभियान ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इसकी वजह से शिक्षा का अवैध कारोबार बड़ी तेजी से फल-फूल रहा है अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए अवैध शिक्षा का व्यापार करने वालों के द्वारा एक नहीं कई स्कूल खुलेआम प्रारंभ कर दिया गया है ऐसा करने वालों के द्वारा माशूम पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में लेने के लिए बड़े स्तर पर काम किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर चोरी-छुपे तो कुछ स्थानों पर खुलेआम इस काम को किया जा रहा है।
शासन ने स्कूल के खोलने के लिए नियम लागू कर रखे है और यदि कोई स्कूल चलाता है तो उसको जिला शिक्षा कार्यालय में पंजीकरण कराने के साथ मान्यता लेना होता है। साथ ही शिक्षकों की योग्यता, शैक्षणिक अच्छी और उच्च होनी जरूरी है। लेकिन यहां कोई भी नियमों का पालन तक नहीं कर रहा है। जनपद के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में करीब 200 से अधिक अवैध स्कूलों में छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जा रही है और उनका पंजीकरण तक नहीं है। ऐसे में छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। शिक्षा विभाग पूरी तरह से मौन बैठा है। संचालक बिना रजिस्ट्रेशन और मान्यता कराए ही स्कूल चला रहे हैं।
वही इस मामले में जब हमने एक और बार जिला शिक्षा अधिकारी साहेब से बात की तो हमेशा की तरह फिर उनका वही कहना था की अभी मीटिंग में हूँ। काम बहुत हैं कल तिरंगा रैली में व्यस्त था। अभी पता करता हूँ क्या हुआ। और फिर फोन काट दिया।