उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी जहां 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। तो वहीं कांग्रेस में इन दिनों फिर एक बार से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस अब भी पुरानी हार पर आपसी लड़ाई से बाज नहीं आ रही है। स्थिति यह है कि पूर्व सीएम हरीश रावत पुरानी हार और अभियानों पर खीझ निकाल रहे हैं वहीं प्रीतम सिंह इशारों ही इशारों में पुराने इतिहास को कुरेदने की कोशिश कर रहे हैं।
देश भर की तरह उत्तराखंड में भी कांग्रेस कभी इतनी कमजोर नहीं थी। प्रदेश में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दो विधानसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस की अंदरूनी तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए। राज्य में इतिहास रच कर भाजपा भविष्य की राजनीति को अपने हिसाब से आगे बढ़ाने की तैयारियों में जुट गई है उधर कांग्रेस नेता अब भी पुरानी हार के अपने ही जख्म को कुरेदने में जुटे हुए हैं। पार्टी के विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने साफ किया कि 2016 में उत्तराखंड में दलबदल को लेकर जो कुछ हुआ उससे कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ था। प्रीतम सिंह के इस बयान को हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए इस घटनाक्रम पर तंज के रूप में देखा जा रहा है वैसे प्रीतम सिंह इशारों ही इशारों में कई बार चुनाव में हुई हार से लेकर तमाम निर्णय पर हरीश रावत को बिना नाम लिए कटघरे में खड़ा करते रहे हैं लेकिन इस बार हरीश रावत भी चुप रहने के मूड में नहीं है और अपने चिर परिचित अंदाज में हरीश रावत ने भी जवाबी बयान के रूप में कहा है कि हरिद्वार में लगातार उनके खिलाफ कुछ लोगों ने अभियान चलाया और हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की जाती रही है उन्होंने कहा कि इसी वजह से 2017 में पार्टी को नुकसान हुआ।