उत्तराखंड चुनाव की तिथि नजदीक आते ही जिले में चुनावी घमासान तेज हो रहा है। टिकट नहीं मिलने पर भाजपा और कांग्रेस से बगावत कर कई दावेदार निर्दलीय ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं। बागियों ने दोनों ही दलों के जिम्मेदार नेताओं की नींद उड़ा रही है। दोनों ही दलों के नेता अपने बागियों को मनाने और डैमेंज केंट्रोल में जुटे हैं। अब देखना ये हैं कि कौनसा दल अपने कितने बागियों को मनाने में सफल होगा।
भाजपा ने पांच दिन पहले प्रदेश की 59 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की थी। जबकि 11 सीटों पर अभी प्रत्याशी चयन को लेकर पेंच फंसा है। दूसरी तरफ कांग्रेस भी अभी 53 प्रत्याशियों की ही सूची जारी कर पायी हैं। ऊधम सिंह नगर में भाजपा रूद्रपुर सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं कर पायी है जबकि कांग्रेस उधम सिंह नगर की सभी सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी हैं। दोनों दलों के सामने अब बागियों को मनाना चुनौती बना हुआ है। जसपुर सीट की बात करें तो यहां पर भाजपा ने पूर्व विधायक डा. शैलेन्द्र मोहन सिंघल को प्रत्याशी घोषित किया है। हालांकि भाजपा से टिकट की दौड़ में सिंघल सहित पूर्व योजना आयोग उपाध्यक्ष विनय रोहेला, शीतल जोशी, मनोज पाल, उप ब्लाक प्रमुखगुरबाज सिंह, खड़क सिंह चैहान सहित 8 पार्टी नेता अपना जोर आजमा रहे थे, लेकिन इन सब से इतर संगठन ने दोबारा डाॅक्टर शैलेंद्र मोहन सिंघल पर विश्वास जताया है। टिकट के अन्य दावेदारों में असंतोष तो है लेकिन फिलहाल खुलकर कोई सामने नहीं है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने यहां अपने सिटिंग विधायक आदेश चैहान को एक बार फिर मैदान में उतारा है। यहां कांग्रेस के सुल्तान भारती भी टिकट की दौड़ में थे। उन्होंने अभी खुलकर निर्दलीय चुनाव लड़ने को एलान तो नहीं किया है। अलबत्ता उन्होंने हाईकमान के फैसले पर सवाल उठाकर कांग्रेस हाईकमान पर अल्पसंख्यकों की अनदेखी का भी आरोप लगाया है। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर युनूस चैधरी इस बार आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में कूद चुके हैं।
जसपुर सीट पर बसपा ने अजय अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया है। काशीपुर सीट पर भाजपा-काग्रेस दोनों में घमासान खुलकर सामने आ गया है। यहां भाजपा ने मौजूदा विधायक हरभजन सिंह चीमा के पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा को चुनाव मैदान में उतारा है।हाईकमान के इस फैसले के खिलाफ यहां मेयर उषा चैधरी समेत गिरीश तिवारी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राम मेहरोत्रा, प्रदेश मंत्री आशीष गुप्ता, महानगर अध्यक्ष मोहन बिष्ट, जिला उपाध्यक्ष गुरविंदर सिंह चण्डोक, भाजयुमों के जिलाध्यक्ष सर्वजीत सिंह, गुरबख्श सिंह बग्गा समेत तमाम भाजपा नेताओं ने सामूहिक इस्तीफे देकर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के पुत्र कुंवर नरेंद्र चन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है। इस सीट पर टिकट के लिए दावेदारोें की लम्बी फेहरिस्त थी। इसमें एडवोकेट मनोज जोशी, महानगर अध्यक्ष संदीप सहगल, मुत्तफा सिंह के नाम सबसे ऊपर चल रहे थे। हालांकि कांग्रेस में यहां काफी कुछ मैनेज हो चुका है लेकिन भितरघात अभी भी कांग्रेस के सामने चुनौती बना हुआ है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बाजपुर सीट पर भाजपा ने राजेश कुमार को प्रत्याशी बनाया है। यहां भाजपा के लिए स्थिति संतोषजनक है। लेकिन कांग्रेस में यहां भी घमासान चरम पर है।
यहां कांग्रेस ने हाल ही में भाजपा से वापस कांग्रेस में आये यशपाल आर्य को मैदान में उतारा है। इस सीट पर लम्बे समय से सुनीता बाजवा टम्टा कांग्रेस से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी। उनके समर्थकों ने यहां यशपाल आर्य के खिलाफ विरोध का ऐलान कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा यहां तीसरे विकल्प के लिए रणनीति तैयार करने में जुटे हैं। गदरपुर सीट पर भी भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए बागियों ने मुश्किलें खड़ी कर दी है। भाजपा से मौजूदा विधायक एवं कैबिनेट मंत्री अरविंद पाण्डे को टिकट देने के खिलाफ भाजपा के वरिष्ठ नेता रविन्द्र बजाज ने पार्टी छोड़कर निर्दलीय ताल ठोंकने की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व विधायक प्रेमानंद महाजन को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर कांग्रेस से करीब एक दर्जन दावेदारों ने टिकट की मांग की थी। महाजन को टिकट मिलने से अन्य दावेदारों में असंतोष के स्वर मुखर हो गये हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे राजेन्द्र पाल सिंह ने हाईकमान के फैसले पर नाराजगी जताकर बगावत की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। जबकि कांग्रेस के प्रदेश मीडिया कोर्डिनेटर प्रीत गा्रेवर ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में कूदने का ऐलान कर दिया है।
हालांकि इस सीट से टिकट की मांग कर रहे युुवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुमित्तर भुल्लर, महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष रीना कपूर, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष त्रिनाथ विश्वास, किशोर हालदार और सुमन सिंह ने संगठन के फैसले पर संतोष जताया है। जबकि इस सीट पर कांग्रेस से दावेदारी करने वाली सोशल मीडिया प्रदेश अध्यक्ष शिल्पी अरोरा की फिलहाल अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नही आई है। रूद्रपुर सीट पर कांग्रेस ने मीना शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस में फिलहाल यहां सब कुछ सामान्य नजर आ रहा है। लेकिन भाजपा में घमासान अभी जारी है। यहां टिकट को लेकर अभी तक पेंच फंसा हुआ है। शिव अरोरा,राजकुमार ठुकराल,भारत भूषण चुघ, विकास शर्मा,अनिल चैहान,मधु राय और उत्तम दत्ता के नामों पर विचार किया जा रहा है। बताया जाता है कि रूद्रपुर सीट से अब पूर्व सांसद बलराज पासी के नाम पर भी मंथन किया जा रहा है। इस सीट पर दस दावेदारों ने टिकट की मांग की है। प्रत्याशी का फैसला होते ही यहां भाजपा में बगावत होना तय माना जा रहा है। उधर किच्छा सीट पर भी बागियों ने दोनों ही पार्टियों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। कांग्रेस के प्रत्याशी तिलकराज बेहड़ के सामने हरीश पनेरू ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे का ऐलान कर दिया है,इसके अलावा यहां संजीव सिंह और गणेश उपाध्याय भी कांग्रेस के लिए चुनौती बने हुए हैं। कांग्रेस के अन्य दावेदार फिलहाल शांत हो चुके हैं। भाजपा ने तीसरी बार इस सीट पर राजेश शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। शुक्ला को टिकट देने के खिलाफ भाजपा नेता अजय तिवारी निर्दलीय चुनाव में कूदने का ऐलान कर चुके हैं। विपिन जल्होत्रा भी निर्दलीय ताल ठोकने को तैयार थे लेकिन उन्हें फिलहाल शुक्ला ने मना लिया है। यहां बागी समीकरण बिगाड़ने की स्थिति में हैं। सितारगंज सीट पर कांग्रेस ने नवतेज पाल सिंह को प्रत्याशी बनाया है जिसके खिलाफ पूर्व विधायक नारायण पाल निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं । वहीं मालती विश्वास को टिकट नहीं मिलने से बंगाली समाज मुखर हो गया है और मालती विश्वास को निर्दलीय चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा रही है। इस सीट पर हाल ही में भाजपा से कांग्रेस में आये सुरेश गंगवार भी टिकट के प्रबल दावेदार थे उन्हें टिकट नहीं देने का नुकसान भी पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
नानकमत्ता में भाजपा ने मौजूदा विधायक प्रेम सिंह राणा को एक बार फिर मैदान में उतारा है। पार्टी के फैसले के खिलाफ यहां मुकेश राणा और श्रीपाल राणा ने बगावत के सुर मुखर कर लिये हैं। दोनों निर्दलीय चुनाव लडने की तैयारी कर रहे हैं जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व विधायक गोपाल सिंह राणा को प्रत्याशी बनाया है। इसके विरोध में कांग्रेस से टिकट के दावेदार पवन राणा भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के गृह क्षेत्र खटीमा में फिलहाल भाजपा कांग्रेस के सामने बागियों की चुनौती नहीं है। यहां भाजपा से खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी चुनावी दंगल में है तो कांग्रेस से कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भुवन कापड़ी मैदान में है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी के एसएस कलेर भी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। कुल मिलाकर जिले की अधिकांश सीटों पर भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए दावेदारों ने मुश्किलें खड़ी कर दी है। जितने बागी निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं,अगर उन्हें नहीं मनाया गया तो इस बार जिले में बड़ा उलटफेर होना तय