रुद्रपुर:25 अप्रैल 2023 मंगलवार/तापस विश्वास
एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
-आखिर क्यों फर्जी स्कूलों पर कार्यवाही करने में मूक दर्शक बना है शिक्षा विभाग
-तीन कमरों के किराये के भवन में संचालित हो रहा स्कूल, शिक्षा विभाग बेखबर
चंद पैसों के लालच में शिक्षा का व्यापार करने वाले माफिया शिक्षा तंत्र का मखौल उड़ाते हुए मानकों को ताक पर रख कर फर्जी स्कूल संचालित कर रहे हैं और देश के नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जी हां ये हाल ऊधम सिंहनगर जनपद का है जहां खनन माफिया, भू माफिया के साथ ही ्अब शिक्षा माफियाओं का दबदबा पूरे शिक्षा तंत्र को चुनौती दे रहा है। कैसे जिला मुख्यालय में ही अधिकारियों के नाक के नीचे चल रहे है फर्जी स्कूल बिना मान्यताओं के और कैसे दो या तीन कमरों किराए मकान में उडाया जा रहा शिक्षा का मजाक पढ़िए हमारी ये एक्सक्लूसिव खास रिपोर्ट
शिक्षा माफियाओं ने दो या तीन कमरों का भवन किराये पर लेकर उसमें स्कूल संचालित कर रहे हैं। इन स्कूलों की ना तो अभी तक कोई मान्यता ही उत्तराखण्ड सरकार से हो पायी है और ना ही इन स्कूलों ने कोई मानक ही स्कूल को संचालन करने के लिए पुरा किये हैं। यही नहीं विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के बिना नौसिखिये शिक्षकों से स्कूल में बच्चों को पढाया जा रहा है। जिससे एक तरफ तो पूरे एजुकेशन सिस्टम की धज्जियां उडाई जा रही है, तो दूसरी ओर देश की भावी पीढ़ी की बुनियाद ही खोखली की जा रही है।
प्रदेश में जहा एक ओर नकल विरोधी कानून लाकर शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने के बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हैं तो वही दूसरी ओर प्रदेश में कुछ लोग सारे नियमों को ताक पर रखकर मासूम बच्चो के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। मामला जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर से जुड़ा हुआ है। जहां बड़े पैमाने पर शिक्षा में माफियागीरी शुरू हो चुकी है। कुछ शिक्षा माफिया पैसों की चाहत में शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य को बेचने का काम कर रहे हैं। जानकारी और पड़ताल के अनुसार ट्रांजिट कैम्प में वेव लाइट एकडमी पिछले कई सालो से किराए के मकान में मात्र तीन कमरों में संचालित हो रहा है। नियमों के अनुसार किराए का भवन व्यवसायक रूप से पंजीकृत किया जाना अनिवार्य होता है और उस भवन में विद्युत विभाग से बिजली लेने पर उसमे व्यवसायिक मीटर लगा होना चाहिए। लेकिन वेव लाइट एकडमी जिस किराए के मकान में खोला गया वहा इन नियमो की भी धज्जियाँ उड़ाई गई। इतना ही नहीं जानकारी के अनुसार पिछले कई सालों से वेव लाइट एकडमी किराए के इसी मकान पर संचालित हो रही है मकान मालिक तो बदल गया लेकिन किराए के स्कूल द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाना अभी भी बरकरार है इस मामले में जब हमने विद्यालय के प्रधानाचार्य राखी गंगवार से फोन पर बातचीत कर उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने पहले तो गोलमोल जवाब देते हुए यह कहा कि शिक्षा विभाग में मान्यता के लिए उनकी फाइल लगी हुई है लेकिन कई सालों से अभी मान्यता नहीं मिली और कार्रवाई चालू है। अधिक जानकारी मांगने पर उन्होंने स्कूल में आकर जानकारी जुटाने की बात कही लेकिन सही ढंग से अपना पक्ष रखने से इंकार कर दिया। वही दूसरे दिन जब हमारी टीम विद्यालय पहुंची तो वहां के प्रधानाचार्य राखी गंगवार नदारद मिली और वहां मौजूद टीचरों ने कुछ भी जवाब देने से इनकार कर दिया। फिलहाल जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के कुछ कर्मचारी ऐसे विद्यालयों को गुपचुप तरीके से सहयोग प्रदान करते हैं। जिससे ऐसे विद्यालय के हौसले बुलंद हैं।
जानकारी के अनुसार इन विद्यालयों की भी नहीं है मान्यता
ओमेगा नेशनल स्कूल
मिशन पब्लिक एकेडमी
के० आर पब्लिक स्कूल
अम्बे पब्लिक स्कूल,
सरस्वती विद्या मन्दिर
देवभूमि सरस्वती स्कूल
डी० आर0 पब्लिक स्कूल
वी०डी०एस० पब्लिक स्कूल
बी0आर0एम0 पब्लिक स्कूल
साफट पटेल पब्लिक स्कूल
एम०वी०आर० एकेडमी
मार्डन पब्लिक स्कूल
डिजिटल क्लास स्कूल
मंर्निंग वेल स्कूल
गोल्डन ड्रीम स्कूल
देशबन्धु मैमोरियल स्कूल यथार्थ एजुकेशनल स्कूल
ग्रीन प्लेनेट प्ले स्कूल
शहीद ऊधम सिंह मैमो०प० स्कूल
गोल्डन ड्रीम स्कूल
के०वी०एस० प० स्कूल
मासूम पब्लिक स्कूल
नियमोँ के अनुसार ऐसे स्कूलों के संचालन पर एक लाख रुपये जुर्माने का भी नियम है। इसके बाद भी स्कूल चलते पाए गए तो प्रतिदिन दस हजार रुपये जुर्माना लिया जाएगा, लेकिन शिक्षा विभाग ने न तो स्कूलों की जांच की और न ही जुर्माना लगाया। वही कुछ ऐसे स्कूल हैं जिनकी मान्यता कक्षा आठ तक है, मगर पढ़ाई 10 तक होती है। वही जानकारी के अनुसार नर्सरी से कक्षा पांच तक सात कमरे और कक्षा आठ तक दस कमरे होने चाहिए। भवन की छत पक्की और बाहर की दीवारें सफेद होनी चाहिए। सभी कमरों का क्षेत्रफल 180 वर्ग मीटर होना चाहिए। इसके अलावा पुस्तकालय व खेलकूद का सामान होना चाहिए। पीने के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था भी जरूरी है। लेकिन नियमों को ताक पर रखते हुए विभाग की मिलीभगत से यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है।