मुम्बई। बॉलीवुड के मशहूर एक्टर राजेश खन्ना ने अपनी फिल्मों और अपने अंदाज से हिंदी सिनेमा में जबरदस्त पहचान बनाई थी। राजेश खन्ना ने यूं तो फिल्म आखिरी खत से हिंदी सिनेमा में कदम रखा था, लेकिन असली पहचान उन्हें फिल्म अराधना से मिली थी, जिसने उन्हें हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार तक बना दिया था। यहां तक कि बॉलीवुड एक्टर सलमान खान भी कहते हैं कि राजेश खन्ना के स्टारडम तक कोई नहीं पहुंच सकता है। लेकिन एक्टर की जिंदगी में एक पल ऐसा भी था, जब उनका परिवार नहीं चाहता था कि वह बॉलीवुड में कदम रखें। इतना ही नहीं, उन्होंने एक्टर के सामने एक शर्त तक रख दी थी। राजेश खन्ना से जुड़ी इस बात का खुलासा ‘70 एमएम विद राहुल’ में किया गया था। राजेश खन्ना सेठ चुन्नीलाल और लीलावति के इकलौते बेटे थे। जहां भी फिल्मों के ऑडीशन होते, एक्टर वहां जरूर जाते थे। लेकिन खास बात तो यह है कि राजेश खन्ना ऑडिशन देने भी अपनी स्पोर्ट्स कार में जाया करते थे। सिनेमा में कदम रखने से पहले राजेश खन्ना ने थिएटर में भी हाथ आजमाया था। राजेश खन्ना ने थिएटर में छोटे से लेकर बड़े, कई प्ले किये थे। उन्हें इस दौरान पैसा नहीं मिलता था, लेकिन उन्हें नाटक में काम करना काफी अच्छा लगता था। कॉलेज के खत्म होते ही राजेश खन्ना से फैमिली बिजनेस संभालने के लिए कह दिया गया। लेकिन एक्टर का मन बिजनेस से इतर एक्टिंग में था वह एक्टिंग में कदम रखना चाहते थे। वहीं जैसे ही राजेश खन्ना ने यह बात अपने माता.पिता को बताई तो उन्होंने एक्टर के सामने शर्त रख दी। चुन्नीलाल और लीलावति ने अपने बेटे को पांच साल दिये और कहा कि हम तुम्हारा समर्थन करेंगे, लेकिन अगर इन पांच सालों में कोई सफलता हाथ नहीं लगी तो उन्हें वापस आकर फैमिली बिजनेस संभालना पड़ेगा। ऐसे में पांच सालों में से जहां कुछ साल उन्होंने थिएटर में काम किया तो वहीं 1965 में टैलेंज हंट प्रतियोगिता जीतने के बाद उन्हें फिल्मों में लीड एक्टर बनने का मौका मिला। बता दें कि राजेश खन्ना की डेब्यू फिल्म ‘आखिरी खत’ थी, लेकिन उनकी यह फिल्म फ्लॉप रही। इसके बाद भी वह दो और फिल्मों में नजर आए, जो कि बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित नहीं हुई। वहीं अराधना के प्रीमियर से पहले भी राजेश खन्ना को कोई भाव नहीं दे रहा था जिससे एक्टर को काफी मायूसी हुई। लेकिन फिल्म के खत्म होते ही राजेश खन्ना की फैन फॉलोइंग इस कदर बढ़ गई कि वे सुपरस्टार बन गए।
तपस कुमार विश्वास
संपादक