लगातार बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। शायद ही कोई ऐसी वस्तु हो, जो महंगाई के दायरे से बाहर नजर आ रही हो। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दाम पिछले कई महीनों से बढ़ ही रहे हैं। खाने-पीने के सामान से लेकर फल-सब्जियां और दूध तक महंगा हो गया है। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यवर्ग से लेकर गरीब तबके तक पर साफ नजर आ रहा है। हालात जिस तरह के बने हुए हैं उससे तो लगता नहीं कि हाल-फिलहाल महंगाई से कोई राहत मिल पाएगी। ऐसे में अब उत्तराखंड में एक अप्रैल से बिजली और पानी भी महंगा होने जा रहा है। घरेलू पेयजल उपभोक्ताओं के लिए नौ से 11 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी तय है। वहीं, कमर्शियल उपभोक्ताओं को 15 फीसदी से अधिक भुगतान करना होगा। बिजली के भी नए रेट गुरुवार को जारी होंगे। विद्युत नियामक आयोग ने नए रेट को अंतिम रूप दे दिया है।
जल संस्थान एक अप्रैल से राज्य में पेयजल की नई दरें लागू करता है। शहरी क्षेत्रों में पानी के बिलों का निर्धारण हाउस टैक्स के आधार पर होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिल पानी के नल के आधार पर तय किया जाता है। शहरों में 360 रुपये तक भवन कर पर ग्रेविटी की पेयजल योजनाओं से जुड़े उपभोक्ताओं का 160 रुपये महीना पानी का बिल आता है। ट्यूबवेल से जुड़े उपभोक्ताओं का 169 रुपये, पम्पिंग पेयजल योजना से जुड़े उपभोक्ताओं का 181 रुपये प्रति महीना बिल 2013 के तय रेट पर निर्धारित किया गया है। भवन कर 361 रुपये से 2000 रुपये के बीच होने पर ग्रेविटी योजना में 169.10 रुपये, ट्यूबवेल योजना पर 181.56 रुपये, पम्पिंग योजना पर 195.80 रुपये महीना बिल तय किया गया है। भवन कर 2000 रुपये से 3500 रुपये होने पर ग्रेविटी योजना में 199.36 रुपये, ट्यूबवेल योजना पर 213.05 रुपये, पम्पिंग योजना पर 240.30 रुपये बिल निर्धारित है। ये वृद्धि इन रेटों पर ही लागू होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में एक घर में एक से दो टोंटी होने पर नौ प्रतिशत वृद्धि होगी। घर में इससे अधिक टोंटी होने पर 11 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
वही सरकार ने पानी के बिलों के भुगतान को लेकर आम जनता को बड़ी रियायतें दी थीं। जो 31 मार्च तक ही लागू हैं। 31 मार्च तक पानी का बिल जमा कराने पर पुराना सभी विलंब शुल्क माफ कर दिया गया था। 31 मार्च के बाद पानी का बिल जमा कराने पर लोगों को विलंब शुल्क जमा कराना होगा।जल संस्थान लंबे समय से पानी का नया टैरिफ तय किए जाने को दबाव बनाए हुए है। अभी 2013 के तय रेट पर ही पानी के बिलों में बढ़ोत्तरी होती है। 2017 में नया टैरिफ तय किए जाने को एक कमेटी का गठन हुआ था। आज तक उस कमेटी की बैठक तक नहीं हुई। अब नई सरकार आने के बाद जल संस्थान नए सिरे से प्रस्ताव तैयार करने में जुट गया है।