बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों की देशव्यापी हड़ताल का असर उत्तराखंड के सभी जनपदों में भी देखने को मिला। दो दिन तक प्रदेश के बैंक बंद रहे। अब शनिवार को बैंक खुलेंगे। वही बताया जा रहा है कि सोमवार से बैंक कर्मी फिर से आंदोलन को लेकर रणनीति बना सकते हैं।
आपको बता दे कि बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों की देशव्यापी हड़ताल आज भी जारी रही। दो दिन की हड़ताल के बाद शनिवार को देश के सभी बैंक खुलने जा रहे हैं। ऐसे में यदि आपका कोई भी बैंकिंग से संबंधित काम है तो शनिवार यानि आज बैंक जाकर निपटा लें। क्योंकि, रविवार को साप्ताहिक अवकाश की वजह से बैंक बंद रहेंगे और सोमवार को बैंक कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अपनी आगामी रणनीति बनाएंगे। ऐसे में हो सकता है कि बैंक कर्मचारी अपनी चेतावनी के अनुसार मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले जाएं। बता दें कि बैंकों के निजीकरण के विरोध में 16 और 17 दिसंबर को बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे इस दौरान जनपद ऊधम सिंह नगर में सभी बैंको अंतर्गत करोडो का ट्रांजेक्शन प्रभावित हुआ। शनिवार को बैंक कर्मचारियों की हड़ताल की समय सीमा खत्म हो गई है। ऐसे में शनिवार यानि आज का दिन बैंकिंग सेक्टर के लिए काफी अहम रहेगा। सुबह से शाम तक बैंकों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद भी जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि सोमवार को बैंक खुलने के बाद बैंक कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अग्रिम रणनीति बनाएंगे। जानकारी है कि अभी तक बैंक कर्मचारियों की मांग पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है। ऐसे में बैंक कर्मचारियों की ओर से दी गई अनिश्चितकाल हड़ताल की चेतावनी को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
जनपद उधम सिंह नगर में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले सभी बैंकों की चल रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. इस दौरान जनपद उधम सिंह नगर में सभी बैंकों के कर्मी एक बार फिर पंजाब नेशनल बैंक पर एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की। उत्तरांचल बैंक एंप्लाइज यूनियन के सदस्यों ने बताया कि देश की करोड़ों जनता ने जिन भावनाओं के साथ बीजेपी को देश की सत्ता की कमान सौंपी थी उस पर बीजेपी पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। दूसरे राउंड में बीजेपी की सरकार ने अपना पुराने एजेंडे के तहत देश के उपक्रमों को बेचने का और उनके निजीकरण का सिलसिला जारी रखा है। उन्होंने कहा कि बैंकों की इस दो दिवसीय हड़ताल का मुख्य उद्देश्य बैंकों का निजीकरण बंद करने, बैंकों को बेचने से रोकने और देश के युवा बेरोजगारों को रोजगार देते हुए बैंकों में काफी लंबे समय से रिक्त पड़े पदों पर भर्ती करना है। क्योंकि अधिकतर सरकारी योजनाओं को सरकार बैंकों के माध्यम लागू करना चाहती है। जिससे बैंक कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है। सरकार तमाम सरकारी योजनाओं को बैंकों के माध्यम से लागू कर बैंक कर्मियों पर बोझ बढ़ाना चाहती है तो वहीं सरकारी बैंकों का निजीकरण करना चाहती है। सभी बैंक कर्मी इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं और इसी के मद्देनजर दो दिवसीय हड़ताल पर हैं। वही जहां बैंकों की हड़ताल से आम जनमानस को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं बैंकों को लाख हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।