उत्तराखंड में जनपद ऊधम सिंह नगर के किच्छा से दो बार के विधायक राजेश शुक्ला को अपने अहंकार के चलते चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। दरअसल वर्ष 2017 पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हराने के बाद से चौथे आसमान पर उड़ रहे शुक्ला को इसा बात का गुमान हो गया था की किच्छा विधानसभा से उन्हें चुनाव हारने वाला कोई इस धरती पर पैदा नहीं हुआ है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पिछली बार चुनाव क्या हराया उन्हें लगा की दो बार हार चुके तिलकराज बेहड़ उन्हें चुनाव क्या हरा पाएंगे। लेकिन अहंकार से लबरेज विधायक शुक्ला यह भूल गए कि इस संसार में महाज्ञानी और शक्तिशाली रावण का अहंकार भी चकनाचूर हो गया था तो उनकी विसात ही क्या हैं । किच्छा के भाजपा विधायक राजेश शुक्ला का आखिरकार गुमान धराशाही हो ही गया किच्छा की जनता ने शुक्ला को एक बार फिर अपना विधायक चुनने की इच्छा से इनकार करते हुए सबक सिखा ही दिया। राजेश शुक्ला को कांग्रेस प्रत्याशी तिलकराज बेहड़ ने करीब 10 हजार वोटो से हराया है। बेहड़ को 48836 तो शुक्ला को करीब 38000 हजार वोट मिले।
विधायक शुक्ला ने पिछले कार्यकाल में किच्छा को विकास के मामले में काफी आगे पहुंचाया। शुक्ला के पास गिनाने को कई उपलब्धियां भी थीं दूसरी ओर तिलकराज बेहड़ का किच्छा में 7 जी का विरोध था। उन्हें बाहरी करार दिया जा रहा था। ऐसे में शुक्ला चुनाव जीत के प्रति अति विश्वास में थे। लेकिन वैसे यह पहली बार नहीं हुआ है,जब तिलकराज बेहड ने उन्हें चुनाव हराया हो। बेहड शुक्ला को 2003 और 2007 में भी हरा चुके हैं। बेहड से लगातार दो बार हराने के बाद शुक्ला रुद्रपुर छोड़कर किच्छा में चुनाव लड़े, जहां उन्होंने लगातार दोबार जीत दर्ज की। 2017 में तो उन्होंने पूर्व सीएम हरीश रावत को चुनाव हरा दिया था। जिसके बाद वह लगातार यह कहते रहे कि अब उन्हें कोई हैट्रिक लगाने ने से नहीं रोक सकता। इतना ही नहीं उन्होंने पूर्व सीएम को एक बार फिर किच्छा से चुनाव लडने की चुनौती दे डाली थी। शुक्ला के दावों से लग रहा की वह अब किच्छा में बहुत मजबूत हो गये लेकिन चुनावी परिणामों ने गुमान को तोड़ते हुए उनकी हवा निकाल दी साथ ही उन्हें ज़मीनी हकीकत भी बता दी है कि जनता जनार्दन कैसे राजा को रंक बना सकती है। यही हाल लगातार जीतने के बाद कांग्रेस के पूर्व मंत्री बेहड़ का भी हुआ था। जो अब शुक्ला के साथ हुआ है। माना जा रहा कि राजेश शुक्ला चुनावी मैदान में तिलकराज बेहड़ की लक्ष्मण रेखा पार नहीं कर सकते है।
इस बार कांग्रेस प्रत्याशी तिलकराज बेहड़ ने काफी सधे अंदाज में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार की। कांग्रेस के नाराज सेवन जी को मनाया। उधर, शुक्ला ने एक विवादित बयान देकर चुनावी हवा को अपने पक्ष में करने की कोशिश की, जिससे मुस्लिम मतदाता नाराज हो गए और वह हिन्दुओं को भी लामबंद नहीं कर सके। चुनाव के मौके पर अपने ही पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत राठौर की नाराजगी भी उनके लिए नुकसानदायक साबित हुई। दूसरे भाजपा से बगावत करने वाले अजय तिवारी को वह मना नहीं सके। इतना ही नहीं किच्छा विधानसभा में कुछ जानकारों की मानें तो उनकी कुछ पारिवारिक लोगों के आक्रमक और दुर्व्यवहार भी चुनाव में हार का मुख्य कारण माना जा रहा है। सूत्रों और जानकारों की माने तो किच्छा विधानसभा में विधायक शुक्ला के परिवार के कुछ लोगों का व्यवहार जनता के प्रति लगातार नकारात्मक था जिससे जनता काफी परेशान थी। परिवार के लोगों की बढ़ते दुर्व्यवहार से नाराज जनता ने विधायक शुक्ला को आसमान से सीधे धरती पर पटक दिया और उन्हें यह याद दिला दिया कि जनता से बढ़कर कुछ भी नहीं, जनता जिसे चाहे उसे अपना राजा बना सकती है और नाराज होने पर उसके सारे समीकरण को धराशाही कर सकती हैं। कुल मिलाकर राजेश शुक्ला विकास के मामले में आगे रहने के बाद भी बेहड़ की रणनीति को नहीं भेद पाए। हालांकि चुनाव परिणाम आने से पहले ही उन्होंने भाजपा के बड़े नेताओं पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने का आरोप मढ़ दिया था।