जनपद ऊधम सिंह नगर के पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान की भूसी से हूबहू पॉलीथिन जैसे फिल्म तैयार की है। इसकी खास बात यह है कि यह मिट्टी के संपर्क में आते हुए 3 से 6 माह में नष्ट हो जाएगी जिससे खेती को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा। टीम को इस शोध कार्य में तीन साल का समय लगा है।
लम्बे समय से पर्यावरण की दुश्मन कही जाने वाली पॉलीथिन का जीबी पंत एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने विकल्प तैयार कर लिया है तीन साल की कड़ी मेहनत से वैज्ञानिकों और शोध करने वाले छात्रों को सफलता हाथ लगी है टीम ने धान की भूसी को रिफाइंड कर पॉलीलेक्टिक ऐसिड बेस्ड फिल्म तैयार की है जिसका उपयोग खाना और सब्जियों को रखने में किया जा सकता है। पॉलीथिन जैसी दिखने वाली इस फिल्म की खासियत है कि ये मिट्टी में 3 से 6 महीने के भीतर आसानी से नष्ट हो जाती है यूनिवर्सिटी के फूड इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार ये पॉलीथिन का अच्छा समाधान है इसको तैयार करने में ज्यादा खर्च नहीं लगता है वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक को पेटेंट कराया जाएगा।
जीबी पंत कृषि विवि स्थित प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में प्रोसेस एंड फूड इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक प्रो. पीके ओमरे व उनकी शोध छात्रा शीबा मलिक ने धान की भूसी को रिफाइंड कर पॉलीलेक्टिक ऐसिड बेस्ड शीट तैयार की है। जिसका उपयोग विभिन्न उत्पाद रखने में किया जा सकता है। इस मामले में शोधार्थी शीबा ने बताया कि भारत एक प्रमुख चावल उत्पादक देश है। धान की मिलिंग के दौरान करीब 24 मिलियन टन चावल की भूसी का उत्पादन होता है। इसका बॉयलर, बिजली उत्पादन आदि के लिए ईंधन के रूप में एक छोटी राशि का उपयोग किया जाता है। ज्यादातर भूसी या तो जला दी जाती है या खुले मैदान में कचरे के रूप में फेंक दी जाती है इसके कम वाणिज्यिक मूल्य और उच्च उपलब्धता के कारण इसे फिलर के रूप में बायोकंपोजिट पैकेजिंग मैटीरियल में इस्तेमाल किया जा सकता है साथ ही इसे सेल्यूलोज का सबसे उपलब्ध स्रोत माना जाता है। चावल की भूसी से सेल्यूलोज निकाला और पॉलीलेक्टिक एसिड में चावल की भूसी से निकाले गए सेल्यूलोज को शामिल करके बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग शीट बनाई है जो आने वाले समय में पॉलीथिन पैकेजिंग की जगह ले सकती है इस शीट में उन्होंने चाय के बीज का तेल भी डाला है जिसमें अच्छे एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण होते हैं यह शेल्फ लाइफ को बनाए रखने के साथ खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता को भी बढ़ाते हैं. उनकी विकसित पैकेजिंग शीट में पॉलीथिन की तुलना में बेहतर यांत्रिक शक्ति है. उनके द्वारा विकसित पैकेजिंग शीट गैर बायोडिग्रेडेबल पॉलीथिन पैकेजिंग के बजाय एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
सबसे पहले सेल्यूलोज को केमिकल ट्रीटमेंट दिया, ताकि वह पॉलीलेक्टिक एसिड में समान रूप से घुल जाए पैकेजिंग शीट बनाने के लिए पॉलीलेक्टिक एसिड को क्लोरोफॉर्म में घोला जाता है जब तक कि वह पूरी तरह से घुल नहीं जाता इसके बाद चावल की भूसी से निकाला गया सेल्यूलोज और चाय के बीज के तेल को निश्चित अनुपात में मिलाकर 50 डिग्री तापमान पर मैग्नेटिक स्टिरर के साथ एक समान घोल बनाया जाता है इस घोल को पेट्री डिश में डाला जाता है और रात भर कमरे के तापमान पर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है शीट को पेट्री डिश से निकालने से पहले उसको ओवन में 40 डिग्री तापमान पर सुखाया जाता है और उसके बाद शीट को निकाल लिया जाता है इस तरह बायोडिग्रेडेबल शीट बनाई गई।