ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय आह्वान पर दिल्ली में 21 नवंबर को होने वाली अधिकार और सम्मान रैली में भागीदारी के लिए उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स कर्मियों ने रणनीति बनाई। उन्होंने एक समान नियमित वेतन और पेंशन गारंटी की मांग की।
ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय आह्वान पर 21 नवंबर को आशाओं और स्कीम वर्कर्स की संसद के समक्ष अधिकार और सम्मान रैली प्रस्तावित है। गुरुवार को मंडी परिसर में आशा हेल्थ वर्कर्स की बैठक हुई। आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ. कैलाश पांडेय ने कहा कि आशाओं को सरकारों ने मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है। आशाओं से जमकर काम लिया जाता है, लेकिन उन्हें न तो वेतन मिल पाता है और न ही सम्मान। उन्होंने कहा कि अधिकार व सम्मान के लिए एकजुट होकर संघर्ष की जरूरत है। आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का बजट कम कर दिया है और एनएचएम के निजीकरण की तैयारी की जा रही है। आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष रीता कश्यप ने कहा कि मातृ शिशु सुरक्षा के काम के लिए भर्ती की गई आशाओं के कंधों पर मातृ शिशु सुरक्षा के साथ-साथ पल्स पोलियो अभियान, मलेरिया, डेंगू सर्वे, परिवार नियोजन, कोरोना, आपदा प्रशिक्षण, टीकाकरण से लेकर ओआरएस, बुखार की दवा बांटने आदि तक स्वास्थ्य विभाग की सारी योजनाओं और सर्वे का काम लाद दिया गया है। सरकार आशाओं को वेतन और कर्मचारी का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने आशा समेत सभी स्कीम वर्कर्स को नियमित वेतन और पेंशन की गारंटी देने, सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, पूरे देश में एक समान वेतन 28000 रुपये देने, सुविधाओं और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने, एनएचएम, मिड-डे मील, आईसीडीएस का निजीकरण बंद करने, स्कीम वर्कर्स के लिए काम के घंटे तय करने, कार्यस्थल पर होने वाले शोषण को रोकने के लिए जेंडर सेल का गठन करने की मांग की। यहां ब्लॉक अध्यक्ष मंजू, सरमीन सिद्दीकी, दीपा राणा, ममता मित्रा, शहाना, मीना देवी, नाजिश, रीना देवी, अंगूरी देवी, भावना बिष्ट, विजेता देवी, इंद्रावती, अनुराधा, नारदा देवी, कुलवंत कौर, राधा, शहनाज, सफ़ीना, संजू यादव, निवेश, फूला देवी, प्रेमा देवी, सीता, रेखा दास, चरणजीत कौर, संगीता, सबीना, यास्मीन, रीता देवी, मोबिना, सुलोचना सीमा बेगम, रहिया मौजूद रहीं।