देश आज 21वीं सदी में है लेकिन आज के मॉडर्न युग में भी महिलाएं अत्याचार और अपराध का शिकार हो रही हैं। 21 वीं सदी में महिला सशक्तिकरण के बड़े-बड़े दावों के बीच महिला उत्पीड़न चरम पर है। चंद पैसों के लालच में आज भी महिलाओं को खरीदा और बेचा जाता है। कुछ ऐसी ही एक घटना उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जनपद के सितारगंज विधानसभा क्षेत्र से सामने आई है जहां चंद पैसों की चाह में एक हंसते खेलते परिवार को दलालों ने पैसों का लालच देकर उजाड़ दिया।
जानकारी के अनुसार सितारगंज के पालनगर में अमन सागर का परिवार रहता है। परिवार में अमन सागर और वैशाली सागर अपने 2 वर्ष की बच्ची के साथ साधारण जीवन यापन के साथ गुजर बसर करते है। अमन सागर के परिवार में बीवी और बच्चे के अलावा और कोई नहीं है। इसलिए वह आसपास में रहने वालों को अपना सगा संबंधी मानता है। गांव में एक मुकेश सक्सेना नाम का व्यक्ति भी रहता था। जो अमन और उसके परिवार अक्सर मिलता रहता था और बातचीत भी होती थी। किसी को पता नहीं था कि सरीफ दिखने वाला मुकेश आपराधिक प्रवृत्ति की सोच रखता है। अमन सागर पेशे से ड्राइवर है और धान काटने की मशीन चलाता है धान के सीजन में वहां धान काटने के लिए घर से इटावा भरनी क्षेत्र में गया हुआ था। इस दौरान मुकेश सक्सेना ने अमन सागर की पत्नी वैशाली सागर को अधिक पैसों का लालच देकर बरेली के बदायूं के एक गांव में बेहतर काम दिलाने की बात कही। आर्थिक तंगी से परेशान वैशाली ने भी अपने पति से काम पर जाने के लिए इजाजत मांगने के लिए फोन तो किया लेकिन उस वक्त वैशाली की अमन से बात नहीं हो पाई। अगले दिन मुकेश सक्सेना वैशाली को अपने साथ बरेली ले गया, जहां मुकेश ने अपने परिवार के और सदस्य के माध्यम से वैशाली को मात्र 60,000 रूपए में एक बूढ़े के पास बेच दिया। कुछ दिन बीतने के बाद जब अमन सागर ने अपनी धर्म पत्नी से बात करनी चाही तो उसका फोन स्विच ऑफ आने लगा। जिसके बाद अमन घर वापस लौटा, धीरे-धीरे उसे पूरी घटना की जानकारी हुई जिसके बाद मुकेश सक्सेना का सारा भेद खुल गया। पुलिस के दबाव में मुकेश ने सब कबुल कर लिया और पुलिस और अमन को बदायूं लेकर पहुंचा, जहां उसने वैशाली को बेचा था। लेकिन बुजुर्ग ने बैशाली को वापस करने से इंकार कर दिया। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस के कड़ी मशक्कत के बाद वैशाली को बूढ़े के चंगुल से छुड़ाया। जिसके बाद वैशाली ने पुलिस कंप्लेंट में बताया की उसकी बच्ची को मारने की धमकी देकर बूढ़े, उसके लड़के और दामाद ने उसके साथ कई दिनों तक रेप किया।
इस घटना में उत्तराखंड पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है जहां महिला को बेचने और खरीदने वाले दोनों ही वक्त पुलिस के हत्थे चढ़ गए थे तो अब वे पुलिस के चंगुल से निकलने में कैसे कामयाब हो गए। बड़ा सवाल यह है कि महिला को खरीदने वाले को जब पुलिस हिरासत में लेकर उत्तराखंड लाई थी तो कैसे वह फिर अपने गांव पहुंच गया। वहीं इस मामले में युवा नेता और समाजसेवी सुब्रत विश्वास ने पहल करते हुए मामले को जोर-शोर से उठाया, जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।