रुद्रपुर। नगर की सुप्रसिद्ध व प्राचीन मुख्य रामलीला में नवीं रात्रि अपार जनसमूह उमड़ा। विगत रात्रि श्रीरामलीला में महावीर हनुमान की गिद्धराज सम्पाती से भेंट, वानर दल द्वारा हनुमान को उनकी शक्तियों को याद कराना, सीता-रावण संवाद, हनुमान-सीता संवाद, हनुमान का अशोक वाटिका उजाड़ना, हनुमान द्वारा अक्षय कुमार वध, मेघनाद-हनुमान युद्ध, हनुमान-रावण संवाद, हनुमान द्वारा लंका दहन की भव्य लीला का मंचन हुआ। इससे पूर्व श्री रामलीला में दीप प्रज्जवलन मुख्य अतिथि डा. प्रदीप अदलखा, डा. सोनिया अदलखा, मेयर रामपाल सिंह व उनकी धर्मपत्नी अंजू सिंह एवं उनके साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह, नरेन्द्र जी, जिलाध्यक्ष देवभूमि व्यापार मंडल गुरमीत सिंह, व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा व उनकी धर्मपत्नी दिव्या जुनेजा, कांग्रेस महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा, राजकुमार खनिजो, पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष अरूण कुमार तनेजा, राजकुमार सीकरी, सागर छाबड़ा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। रामलीला कमेटी ने समस्त आंगतुको को माल्यार्पण कर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। लीला में सर्वप्रथम हनुमान अपने साथियों अंगद, नल, नील, जामवन्त आदि के साथ विशाल सिंधू तट पर पहुंचते है, जहां से आगे का उन्हें कोई ठोर ठिकाना नहीं मिलता। तथी गिद्धराज संपाती उनके पास आते है। हनुमान व संपाती की वार्ता में जब संपाति को पता चलता है कि उनके भाई जटायु की मौत हो चुकी है तो वह वानर दल से मोह करता है और उन्हें बताता है कि इस विराट संमुद्र को पार करनें पर ही लंका नगरी है। विराट संमुद्र देख कर वानर दल में निराशा छा जाती है। स्वयं हनुमान भी निराष होकर एक शिला पर बैठ जाते है। जामवन्त द्वारा उन्हें उनकी शक्तियों की याद दिलायी जाती है तो वह अपने विराट स्वरूप् में आ जाते है और सिंधु लांघ जाते है। वह सीताजी की खोज करते करते अशोक वाटिका पहुंच जाते है। यहां सीता जी को रावण अपनी अंतिम चेतावनी देता है कि एक माह के भीतर मुझे अंगीकार कर ले अथवा वो उसको मार देगा। रावण के अशोक वाटिका से जागते है हनुमान सीता माता के सम्मुख प्रभु राम की अंगूठी फेंकते है और खुद भी सामने आ जाते है। हनुमान सीता माता को दिलासा देते हुये कहते है आप या तो अभी मेरे साथ चलने की तैयारी कीजिये अन्यथा अभी मेरे साथ चलने की तैयारी कीजिये। सीताजी कहती है कि वह जायेंगी तो अपने पति के साथ ही। इसके बाद हनुमान जी सीता जी को कहते है कि आया हूं सिंधू लांघकर मैए इस कारण भूख सताती है। ये पेड़ फलों से लदे देख, ईच्छा भी बढ़ती जाती है। माता सीताजी की आज्ञा के बाद हनुमान जीभर कर पूरी वाटिका के फल खाते है और साथ ही बागवानो की मरम्म्त करते हुये पूरी वाटिका उजाड़ देते है। जब यह समाचार रावण के पास पहुंचता है तो वह अपने पुत्र राजकुमार अक्षयकुमार को हनुमान को पकड़नें भेजता है। हनुमान से युद्ध के दौरान अक्षय कुमार मारा जाता है। इसके बाद मेघनाद हनुमान को पकड़ने आता है और ब्रहम अस्त्र का प्रयोग कर उन्हें बांध ले जाता है। रावण के दरबार में हनुमान व रावण की बहस होती है। हनुमान रावण को कहते है कि जिस बाली ने आपको बीसियों बार कैद किया, उसको रामचन्द्र जी ने एक ही बाण से दुनिया से विदा किया। अब उनके बल का अनुमान आप स्वयं ही लगा लें, और जिस प्रकार हो सके, इस आने वाली बर्बादी को अपने सिर से टालें। अतः विनाष का मार्ग छोड़कर, श्रीराम की शरण मे चले जाओ। अन्यथा तुम्हारी ऐंठ क्षण भर मे निकल जायेगी। तिलमिलाया रावण उन्हें मारने दौड़ता है लेकिन विभीषण के कहनें पर केवल उनकी पूंछ में आग लगाने का दंड देता है। पूंछ पर आग लगाते ही हनुमान पूरी लंका को जला डालते है। इस दौरान हनुमान के पात्र में सुशील गाबा, सीता के पात्र में गौरव जग्गा, जामवन्त. गोगना, रावण के पात्र के रूप में विशाल भुड्डी, मेघनाद के पात्र के रूप में वैभव भुड्डी, छोटा हनुमान के पात्र के रूप में आयुश्मान सुशील गाबा, अंगद के पात्र के रूप में मोहन अरोरा, अक्षयकुमार के पात्र के रूप में नीतिश धीर, सम्पाती के पात्र के रूप में गोला ईदरीसी आदि नें निभाया। इस दौरान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, विजय जग्गा, कोशाध्यक्ष नरेश शर्मा, गुरशरण बब्बर शरणी, सुभाष खंड़ेलवाल, अमित अरोरा बोबी, राकेश सुखीजा, राजू छाबड़ा, महावीर आजाद, हरीश धीर, गौरव तनेजा, आशीष ग्रोवर आशु, हरीष सुखीजा, मनोज मुंजाल, राकेश ग्रोवर, अजय चड़डा, मनोज गाबा, संदीप धीर, विजय विरमानी, चिराग कालड़ा, मोहित बत्रा, सचिन तनेजा, शिवम जग्गा, रोहित जग्गा, अमित चावला, हरीश अरोरा, आषीश मिड्ढा, आदि सहित हजारो दर्शक मौजूद थे। मंच संचालन श्रीरामलीला कमेटी के मंच सचिव केवल कृष्ण बत्रा ने किया।
तपस कुमार विश्वास
संपादक