किच्छा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने इंसानियत को तो शर्मसार किया ही है साथ ही भाजपा सरकार के राज में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल डाली है । मामले के अनुसार जिला सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश के रहने वाला सर्वेश कुमार काम की तलाश में अपनी पत्नी राजवती के साथ किच्छा आया और अस्थायी तौर पर राजीव गांधी खेल मैदान में रहने लगा । सर्वेश की पत्नी गर्भवती थी , बुधवार की शाम लगभग 3 बजे राजवती को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो पति सर्वेश और उसके परिजन राजवती को ले कर सीएचसी किच्छा पहुंचे जहां नर्सो ने राजवती को चिकित्सा मुहैय्या कराने से मना कर दिया और वापस भेज दिया, जब परिजनों ने इसका कारण पूछा तो नर्सों ने महिला चिकित्सक के अवकाश पर होने का हवाला दिया ,प्रसव पीड़ा से तड़प रही राजवती को परिजन फिर से राजीव गांधी खेल मैदान ले आये ,जब इस घटना की सूचना सरबती देवी मेमोरियल ट्रस्ट के सदस्यों को लगी तो ट्रस्ट की अध्यक्षा डॉ रेनू सरन के निर्देश में मीडिया प्रभारी एवं अन्य पदाधिकारी तत्काल राजवती के पास पहुंचे और खेल मैदान में ही कई महिलाओं को इकट्ठा किया और चादर धोती की दीवार बनाकर मैदान में ही सुरक्षित प्रसव करवा दिया । प्रसव कराने के बाद स्थानीय विधायक राजेश शुक्ला से ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने संपर्क किया और प्राथमिक चिकित्सा दिलवाने के लिए बात की जिस पर विधायक राजेश शुक्ला ने पहले तो कहा कि ‘मैं क्या कर सकता हूँ’ जब ट्रस्ट के सदस्यों ने हालात का विवरण दिया तो विधायक शुक्ला ने चिकित्सा अधीक्षक से बात की जिस पर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ और तत्काल खेल मैदान में एम्बुलेंस भिजवाई गई । राजवती और उसके बच्चे को सीएचसी भर्ती कर प्राथमिक उपचार दिया गया ।
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कुछ देर के बाद विधायक राजेश शुक्ला सीएचसी पहुंचे और स्वास्थ्य कर्मचारियों को लताड़ लगाई और चिकित्सा अधीक्षक को दोषी नर्सो के खिलाफ कार्यवाही करने को भी कहा ।
सरबती देवी मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्षा डॉ रेणु सरन के अनुसार राजवती को प्रसव पीड़ा अत्यधिक होने लगी थी जिस कारण प्रसव करवाना जरूरी हो गया था चूंकि आस पास कोई ऐसी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नही थी जहां राजवती का प्रसव करवाया जा सके इसलिए ट्रस्ट के सदस्यों और राजवती के परिजनों ने खेल मैदान में ही प्रसव करवाने का निर्णय लिया ।
उत्तराखंड में आये दिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाहियां सामने आती ही रहती है लेकिन उत्तराखंड सरकार के कानों में ज़ू तक नही रेंगती । लगातार बदहाल होती स्वास्थ्य व्यवस्था कई गर्भवती महिलाओं की जान ले चुकी है और ये सिलसिला लगातार जारी है चुनाव का बिगुल बज चुका है । उत्तराखंड में स्वास्थ्य एक अहम मुद्दा बनकर सामने खड़ा है अब देखना ये खास होगा कि एक कार्यकाल में भाजपा का तीसरा मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितना गंभीर है ।
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