दोस्तो, अगर किसी ऐसी वस्तु की माग अधिक हो जो कम मिलती हो या उसी समय वह वस्तु कम हो या फिर ऐसे कह सकते है की ऐसा कार्य जिसको केवल एक ही या फिर कुछ ही लोग पुरा कर देते है पर उस कार्य को करने के लिए अनेक लोग आ जाते है । ऐसी ही स्थिती मे एक मुहावरा अक्सर जुबान पर आता है एक अनार सौ बीमार ! कुछ ऐसी ही स्थिति इन दिनों उत्तराखंड के हर एक विधानसभा क्षेत्र में नजर आ रही है जहां विधानसभा चुनाव के लिए विधानसभा क्षेत्र से किसी भी पार्टी का एक ही निर्धारित टिकट है लेकिन उसकी दावेदारी के लिए कई लोग कतार में खड़े हुए हैं हर कोई अपने आप को दूसरे से बेहतर और जिम्मेदार दावेदार बताने में आतुर है। लेकिन आज बात उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जनपद के गदरपुर विधानसभा सीट की। जहां कांग्रेस के लिए आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट के बंटवारे को लेकर दिक्कतो का सामना करना पड़ सकता है। आपको बता दें गदरपुर विधानसभा मौजूदा वक्त में भाजपा की झोली में हैं और इस सीट से जीते विधायक अरविंद पांडे उत्तराखंड सरकार मंत्री हैं।
उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद से अब तक प्रदेश में 4 विधानसभा चुनाव हुए है। लेकिन उधम सिंह नगर की गदरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को हर बार हार का सामना करना पड़ा। इसकी बड़ी वजह चुनावों के दौरान पार्टी के भीतर गुटबाज़ी ही रही। पहले दो चुनावों यानी 2002 और 2007 में यहां बहुजन समाज पार्टी ने जीत हासिल की और प्रेमानन्द महाजन विधायक रहे। इसके बाद 2012 और 2017 के चुनाव में भाजपा के अरविंद पांडेय ने जीत हासिल की। ऊधम सिंह नगर ज़िले की अन्य सीटों की तुलना में इस बार इस सीट पर कांग्रेस के लिए सिरदर्द काफी ज़्यादा है क्योंकि यहां सबसे अधिक 11 नेताओं ने दावेदारी पेश कर दी है रुकिए जनाब 11 नहीं 12 दावेदार क्यों कि आम आदमी पार्टी का दामन छोड़के आए और एक बार फिर से कांग्रेस में शामिल त्रिनाथ विश्वास भी तो टिकट के दावेदारों में शुमार हैं।
आपको बता दे गदरपुर विधानसभा में कांग्रेस ने बिहार की विधायक प्रतिमा कुमारी और राजस्थान के विधायक रशीद खान को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा था। इन पर्यवेक्षकों के सामने कुल 11 नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी पेश कर दी है इतना ही नहीं तमाम नेता पार्टी पर दबाव डालने के लिए इन दिनों जनता के बीच भी खुद को दिलचस्प ढंग से दावेदार के तौर पर पेश कर रहे हैं आइए आपको बता दे कि ये नेता कौन हैं और कैसे अपना दावा जता रहे हैं।
गदरपुर विधानसभा से मौजूदा वक्त में पूर्व विधायक महाजन, कांग्रेस जिलाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा, महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष रीना कपूर, यूथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुमित्तर भुल्लर, सोशल मीडिया प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष शिल्पी अरोरा, प्रदेश महामंत्री सुरेशी शर्मा, ममता हालदार, सुमन सिंह, एआईसीसी सदस्य राजेन्द्रपाल सिंह, पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष प्रीत ग्रोवर और एक और बंगाली समुदाय के एक दावेदार के साथ अब आप पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस में आए त्रिनाथ भी टिकट मांगने की दावेदारी में शुमार हो गए हैं कुल मिलाकर 12 लोग कांग्रेस पार्टी से टिकट की आस लगाए हुए हैं । हालांकि सभी का यही कहना हैं कि पार्टी जिसे टिकट देगी, उसे सब मिलकर चुनाव लड़ाएंगे।
आपको बात दे कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद ये सीट गदरपुर-पंतनगर के नाम से जानी जाती थी लेकिन परिसीमन के बाद 2012 में इस सीट से पंतनगर को अलग कर दिया गया। इस सीट पर पंजाबी वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं जबकि मुस्लिम और बंगाली वोटर भी समीकरण बनाने और बिगाड़ने की पूरी मदा रखते हैं। वर्तमान समय में गदरपुर विधानसभा सीट काफी हॉट मानी जा रही है क्योंकि मौजूदा विधायक उत्तराखंड में शिक्षा मंत्री के पद पर कार्यरत हैं। इतिहास देखा जाए तो उत्तराखंड में शिक्षा मंत्री कभी भी दोबारा चुनाव नहीं जीते हैं मंत्री अरविंद पांडे के लिए भी कई मुसीबतें सामने आ सकती हैं इसलिए कांग्रेस के कई दावेदार उनके सामने चुनाव लड़ने का दम भर रहे हैं लेकिन वही यहां कांग्रेस के लिए स्थिति और पेचीदा इसलिए भी है क्योंकि स्थानीय नेताओं के अलावा, यहां से बाहरी नेता भी चुनाव लड़ना चाह रहे हैं।
कांग्रेस के सभी दावेदार पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं हर कोई जनता के बीच जाकर उनका सच्चा हितैषी और आने वाले समय में विधायक बनकर क्षेत्र का संपूर्ण विकास करने का हुंकार भर रहे हैं । इतना ही नहीं दावेदारों ने सड़कों को अपने पोस्टरों और होर्डिंगों से पाट दिया है। सभी दावेदार खुद को अन्य की तुलना में ज़्यादा मज़बूत और जिताऊ बता रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पार्टी के सामने किसका दावा ज़्यादा मज़बूत होगा जानकारी के अनुसार राजेन्द्र पाल सिंह के साथ ही, जितेन्द्र शर्मा, प्रेमानन्द महाजन, और भुल्लर का पलड़ा भारी है। हालांकि शिल्पी अरोरा के साथ ही बंगाली कोटे से ममता हालदार भी मज़बूत और दमदार दावेदार मानी जा रही हैं।