जनपद ऊधम सिंह नगर के किसी भी सरकारी अस्पताल में इमरजेंसी महत्वपूर्ण व्यवस्था का हिस्सा होता है। मगर जिला अस्पताल की आपातकालीन व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। यहीं कारण है कि देर रात तक निमोनिये से पीड़ित एक बालक डेढ घंटे तक इमरजेंसी कक्ष में बैठा रहा। मगर चिकित्सक को कोई अता-पता नहीं। वहीं वहां तैनात स्वास्थ्य कर्मी भी बालक को देखने के बाद भी सोते रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि इमरजेंसी जैसी स्वास्थ्य व्यवस्था का यह हाल है, तो जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का क्या हाल होगा। सुबह मामला संज्ञान में आने के बाद सीएमओ ने सीएमएस को मामले की जांच के आदेश दिए।
देर रात तकरीबन दो बजे के करीब आदर्श कॉलोनी के रहने वाले 14 वर्षीय ध्रुव कुमार की अचानक तबीयत बिगड़ने लगी। ठंड लगने की वजह से उसे खांसी व सांस लेने में दिक्कत होने पर परिवार के लोग रात को ही जिला अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में ले गए। जहां इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर की कुर्सी खाली पड़ी थी और चिकित्सक के कक्ष में एक स्वास्थ्य कर्मी हीटर लगाएं सो रहा था। वहीं दूसरे कक्ष में दूसरा स्वास्थ्य कर्मी कंबल ताने आराम फरमाते दि खे। जब बालक के परिजन ने दूसरे कक्ष में सो रहे स्वास्थ्य कर्मी को जगाया व परेशानी बताई। तो उसने दूसरे स्वास्थ्य कर्मी को सूचना देने की बात कहकर सो गया। इसके बाद परिजन चिकित्सक कक्ष में सो रहे स्वास्थ्य कर्मी को उठाया। तो वह उठा और चिकित्सक रात ढाई बजे खाना खाने की बात कहकर फिर सो गया। जब कि बालक के परिजन लगातार स्वास्थ्य कर्मी से मोबाइल नंबर मांगते रहे,लेकिन नंबर देने व मरीज को देखने की बताएं हीटर के आगे तैनात कर्मी सो गया। डेढ़ घंटे तक इंतजार करने के बाद आखिरकार परिजन करीब डेढ़ बजे बीमार बालक को एक निजी अस्पताल ले गए और उसका उपचार करवाया। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा कौन सा समय था। जिस वक्त डॉक्टर खाना खाने गए हुए थे,जबकि इमरजेंसी की ड्यूटी रात आठ बजे से सुबह आठ बजे तक की होती है। जब कि इमरजेंसी कक्ष बेहद संवेदनशील होता है। किसी भी वक्त मरीज को उपचार की आवश्यकता पड़ जाती है। गुरुवार की सुबह जब मामले की जानकारी सीएमओ को हुई। तो उन्होंने तत्काल पीएमएस को मामले की जांच के आदेश दिए।