उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए भीड़ नियंत्रण को कड़े कदम उठाए जाएंगे। इस क्रम में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को अधिकार दे दिए कि कोरोना के केस बढ़ने पर वो अपने स्तर पर नाइट कर्फ्यू, ज्यादा भीड़ जुटने पर प्रतिबंध, विवाह और अंत्येष्टि में लोगों की संख्या सीमित करने जैसे कदम उठा सकते हैं। लेकिन इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच सरकार सियासी रैलियों और जनसभाओं पर भी रोक लगाएगी? राजनीतिक दल भी इसके लिए तैयार होंगे या नहीं? कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन की वजह से प्रदेश में एक बार फिर चिंता का माहौल है। किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सरकार अलर्ट मोड में आती दिख रही है।
इसके चलते नाइट कर्फ्यू और भीड़ प्रबंधन समेत कई कदम उठाए जाने लगे हैं। पर चिंता राजनीतिक कार्यक्रमों को लेकर ही है। चुनावी रैलियों-सभाओं में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ने से संक्रमण का खतरा बन सकता है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के साथ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, बहुजन समाज पार्टी समेत तमाम दल इस वक्त काफी सक्रिय हैं। प्रदेश में जनसुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बता रही है। उत्तराखंड सरकार ने दाबा की है यदि संक्रमण बढ़ा तो सरकार उस स्थिति के अनुसार हरसंभव कदम उठाएगी। जो सभी पर समान रूप से लागू होंगे। इस बाबत मंगलवार को मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों निर्देश दे दिए हैं। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने कोरोना संक्रमण बढ़ने से रोकने के लिए जिलाधिकारियों को सख्त कदम उठाने को कहा है। उन्होंने कहा कि यदि मरीज बढ़ रहे हैं तो कंटेनमेंट जोन बनाए जाएं और भीड़ एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया जाए। शादी समारोह और अंत्येष्टि में शामिल होने वालों की संख्या सीमित करने को भी कहा गया है।