टकनपुर। भारतीय वन जीव संस्थान उत्तराखंड वन विभाग, जूलोजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन द्वारा संयोजित परियोजना चलाई जा रही है। जिसमे नंधौर लैंड स्केप्ड के बारे में और वहां के टाइगर संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुए कार्य किया जा रहा है। इसके अंतर्गत नंधौर वन्य जीव (अभयारण्यों) के आसपास से जुड़े इलाकों में भी जैसे भूम ब्रह्मदेव कॉरिडोर है जो कि उत्तराखंड में भारत और नेपाल को इंटरनेशनल बॉर्डर पर जोड़ता है, ऐसे इलाकों में इस परियोजना को चलाया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत दो दिवसीय कार्यशाला टनकपुर में आयोजित की गई, जिसके अंतर्गत एमस् श्राईव के तहत दो सॉफ्टवेयर पेट्रोल और इकोलॉजिकल के बारे में जानकारी दी गयी। बताया गया कि डिजिटल इंडिया के माध्यम से आने वाले गश्त, राष्ट्रीय स्तर का टाइगर सेंसर, ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन, उसके जितने भी मापदंड है पेट्रोलिंग हो या इकोलॉजिकल जो डेली रूटीन के है वो सारे इन एप्स के माध्यम से पूर्ण हो सकें। आने वाला समय डिजिटल इंडिया का है और हर चीज फ़ोन में उपलब्ध है। इस एप को इस्तेमाल करने का मुख्य कारण ये भी है कि आपको जीपीएस का इस्तेमाल अलग से नही करना पड़ेगा। एम स्ट्राईव (मोनिटरिंग सिस्टम फ़ॉर टाइगर इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस) इसके अंतर्गत जो सॉफ्टवेयर तैयार किये गए है उसकी ट्रेनिंग भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा गयी है।संस्थान से डॉ. नवीन जोशी, आशीष प्रसाद, देव रंजन लाहा जिन्होंने पूरे क्लासरूम की जानकारी भी दी। कार्यशाला में किस तरह पेट्रोल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा, कैसे इनस्टॉल किया जाएगा, किस तरह की परेशानियां सामने आ सकती है, कैसे चलाना है इन सबके बारे में विस्तार से बताया गया। बताया गया कि इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से ये भी जान पाएंगे कि टाइगर का विज्ञान क्या है, शाकाहारी जीवो के विज्ञान को जान सकेंगे। उनके जीवन को देखेंगे, हाथियों के बारे में जानकारी एकत्रित कर सकेंगे, विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों वन्य जीवों के बारे में जानकारी ले सकेंगे। इस दौरान डब्लूआई टीम के डॉक्टर नवीन जोशी, विवेक रंजन, अजय चौहान ने फील्ड एक्सरसाइज करवाते हुए स्टॉफ को सक्षम बनाने की कोशिश की, ताकि कागजों का इस्तेमाल कम हो। इस मौके पर विवेक रंजन, अजय चौहान, जूलोजिकल सोसाइटी लंदन द्वारा डॉक्टर हरीश गुलेरिया, टनकपुर एसडीओ राम कृष्ण मौर्य, डीएफओ हल्द्वानी डिवीजन कुंदन कुमार, रेंज अधिकारी मनीष कुमार, गुंजाल हुसैन आदि मौजूद थे।
तपस कुमार विश्वास
संपादक