उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव करीब आ गए हैं। ऐसे में राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज होने लगी हैं। राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुट गए हैं। लेकिन, इस बार चुनावों में सबकी नजर खासकर युवा मतदाताओं पर टिकी हुई है। 18 से 39 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या कुल मतदाताओं की संख्या का 50 फीसद है। जाहिर है कि महिला मतदाताओं के बाद यह सबसे बड़ा वर्ग है, जिसे रिझाने के लिए राजनीतिक दल पूरा जोर लगा रहे हैं। यही वजह है कि बेरोजगारी, रोजगार व पलायन के मामले हर राजनीतिक दल के एजेंडे में शामिल किए जा रहे हैं। इस कड़ी में कांग्रेस व भाजपा ने तो अपने युवा मोर्चों को सक्रिय करते हुए इनके कार्यक्रम भी जारी कर दिए हैं। वही युवाओं का रुख किस ओर होता है ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा
प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव को कुछ ही महीने शेष है। इस अवधि में कभी भी चुनाव की तिथि घोषित हो सकती है। चुनाव नजदीक देख सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। राजनीतिक यात्राएं और सभाएं शुरू हो चुकी हैं। भाजपा अपनी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के बीच जा रही है, तो विपक्षी दल सरकार पर नाकामी का आरोप लगा रहे हैं। इसके साथ ही युवाओं को केंद्र में रखते हुए बेरोजगारी के मसले पर सरकार को घेर रहे हैं और सत्ता में आने पर युवाओं को रोजगार का वादा कर रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों की नजरें सीधे तौर पर युवाओं पर हैं।
प्रदेश में अभी तक प्रकाशित अनंतिम मतदाता सूची के अनुसार कुल मतदाताओं की संख्या 78 लाख है। इनमें से 18 से लेकर 29 आयुवर्ग के 17.79 लाख मतदाता हैं। जो कुल मतदाता संख्या का तकरीबन 22 फीसद है। वहीं 30 से 39 वर्ष तक के मतदाताओं की संख्या 21.81 लाख है। जो कुल मतदाता संख्या का तकरीबन 28 फीसद है। इन दोनों को मिला दिया जाए तो आधे मतदाता इसी आयुवर्ग के हैं। इसीलिए सभी राजनीतिक दलों की नजरें यूथ वोटर्स पर टिक गई हैं।
जाहिर है कि यह युवा वर्ग जिस भी पार्टी व प्रत्याशी के पीछे खड़ा हो जाएगा, उसकी जीत तय है। यही कारण है कि इस आयु वर्ग को ध्यान में रख ही प्रत्याशी प्रचार की रणनीति बना रहे हैं। सभी प्रमुख दलों की युवा इकाइयां युवाओं को आकॢषत करने का प्रयास कर रही हैं। चुनावों के लिए बनाई जा रही समितियों में भी युवाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है