सूबे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए जिताऊ सीट की तलाश शुरू हो चुकी है। विधानसभा चुनाव 2022 में अपनी विधानसभा खटीमा सीट से चुनाव हारे धामी को अगले छह माह के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है। इसलिए मुख्यमंत्री धामी के लिए सीट तलाश अभियान से कांग्रेस में भी खासी बेचैनी है। प्रदेश में अब तक दो बार ऐसे मौके आ चुके हैं जब गैर विधायक सीएम के लिए विपक्षी दल में सेंध लगाकर विधानसभा जाने का रास्ता बनाया गया है।
हालांकि इस पुरे मामले में भाजपा में ही अपने मुख्यमंत्री धामी के लिए अपनी सीट की कुर्बानी देने वाले विधायकों की संख्या कम नहीं है । लेकिन भाजपा चाहेगी कि अपने विधायक के बजाए कांग्रेस के किसी विधायक से सीट खाली कराई जाए तो राजनीतिक रूप से ज्यादा बेहतर रहेगा। इस मामले में कांग्रेस मुख्यालय पर यहा मुद्दा खासा चर्चा में रहा। कई कांग्रेस नेता इस मामले में अपनी चिंता जाहिर कर रहे है । सूत्रों की मैंने तो कांग्रेस में इस बात की काफी चर्चा है कि कोई कांग्रेसी विधायक भाजपा के संपर्क में है। यदि ऐसा हुआ तो यह कांग्रेस के लिए काफी दुखद होगा।
आपको बता दे कि उत्तराखंड में ऐसी स्थिति में अब तक क्या हुआ। वर्ष 2002 की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री बने एनडी तिवारी को विधानसभा का सदस्य बनने के लिए रामनगर के कांग्रेस के तत्कालीन विधायक योगंबर सिंह रावत ने सीट खाली की थी। वर्ष 2007 में भाजपा सरकार के सीएम खंडूड़ी के लिए कांग्रेस विधायक लेफ्टिनेंट जनरल टीपीएस रावत (रि) ने सीट छोड़ी थी। वर्ष 2012 में आई कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा भी उस वक्त सांसद थे। उनके लिए सितारगंज से भाजपा विधायक किरन मंडल ने विधानसभा सीट खाली की थी। वर्ष 2014 में बहुगुणा की जगह सीएम बने रावत के लिए कांग्रेस के धारचूला विधायक हरीश धामी ने अपनी सीट खाली की थी।