रूस और यूक्रेन, गेहूं के दो बड़े निर्यातक देशों के बीच लड़ाई के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग बढ़ गई है। इस वजह से आढ़ती सरकार के घोषित समर्थन मूल्य से अधिक दरों पर गेहूं की खरीद कर रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है लाभार्थियों को बंटने वाले फ्री राशन पर ब्रेक लग सकता है।
इससे किसान सरकारी कांटों पर गेहूं नहीं ला रहे हैं। पिछले साल अब तक जिले में करीब 2.69 लाख कुंतल तक गेहूं की खरीद हो चुकी थी, लेकिन 16 दिन बीतने के बाद भी जिले में मुश्किल से 1,957 कुंतल गेहूं तुल सका है। जानकारों की मानें तो आने वाले समय में गेहूं के दामों में और तेजी आने की संभावना है। एक यह कारण भी है कि बड़े किसान अभी अपना गेहूं नहीं तुलवा रहे हैं। उत्तराखंड में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होती है। इस साल सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2,015 रुपये घोषित किया है। वही खुली मंडी में गेहूं 2,200 रुपये तक बिक रहा है। इससे किसान सरकारी कांटों के बजाय आढ़तियों को गेहूं बेच रहे हैं।जिले में एक अप्रैल से गेहूं खरीद के लिए सहकारिता, यूसीएफ, आरएफसी, नैफेड के 166 क्रय केंद्रों पर खरीद शुरू हो गई है, लेकिन इस बार जसपुर, बाजपुर, किच्छा और नानकमत्ता को छोड़कर किसी भी क्रय केंद्र पर गेहूं की खरीद हुई है। यह खरीद करीब 1957 कुंतल है। वहीं जिले के अन्य क्रय केंद्रों पर अभी तक गेहूं खरीद का खाता तक नहीं खुला है। बाजार में गेहूं का मूल्य अधिक मिलने से किसान भी क्रय केंद्र में नहीं पहुंच रहे हैं। किसान मुनाफे का सौदा होने के चलते अपना गेहूं आढ़तियों को बेच रहे हैं। बाजार भाव अधिक होने के कारण किसान क्रय केंद्रों पर नहीं आ रहे।